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आकर्षक बायोडाटा बनाने के सिखाए गए गुर

गया, 22 फरवरी (हि.स.) दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के अध्यापक शिक्षा विभाग के प्राध्यापकों एवं विशेषज्ञों द्वारा आकर्षक बॉयोडाटा (सीवी) बनाने के गुर सोमवार को सिखाए गए । जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मो. मुदस्सीर आलम ने बताया कि शिक्षा पीठ के डीन एवं अध्यक्ष प्रोफेसर कौशल किशोर के मार्गदर्शन में “एक आकर्षक सीवी कैसे बनाया जाये” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सोमवार को किया गया। यह कार्यक्रम आंतरिक गुणवत्ता निर्धारण प्रकोष्ठ (आईकीयूएसी) एवं अध्यापक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधन मे विभाग मे अध्ययनरत विध्यार्थियों के लिए भविष्य में रोज़गार की सम्भावनाओं को देखते हुए किया गया। कार्यशाला का उदघाटन करने के पश्चात सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर हरीशचन्द्र सिंह राठौर ने कहा कि आज के कठिन प्रतिस्पर्धा मे किसी भी विद्यार्थी की उपलब्धियों का विवरण सीवी में बहुत ही आकर्षक रूप से किया जाना चाहिए। जिसका सकारात्मक प्रभाव नियुक्ता संस्थान या कंपनी पर पड़ता है। उन्होने कहा कि ये कार्यशाला निश्चित रूप से उन छात्र-छात्राओं के लिए सार्थक सिद्ध हो सकेगी जो निकट भविष्य मे अपनी डिग्रीयों को प्राप्त कर रोज़गार के अवसर तलाशेंगे। इस अवसर पर सीयूएसबी के आंतरिक गुणवत्ता निर्धारण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर वेंकटेश सिंह ने कहा कि निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय नित नए आयामो को छू रहा है। इसी क्रम मे अध्यापक शिक्षा विभाग के तत्वाधन मे आंतरिक गुणवत्ता निर्धारण प्रकोष्ठ के सौजन्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जो निश्चित रूप से छात्र छात्राओं के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। मुख्य वक्ता बनारस हिंदु विश्वविध्यालय की शिक्षा पीठ की प्रोफेसर मीनाक्षी सिंह ने विस्तार पूर्वक सीवी के उद्गम और इसकी महत्ता के बारे मे बतया।उन्होने कहा कि आज के सूचना क्रांति के दौर मे किसी भी आवेदक के लिए उसके सीवी का आकर्षक एवं प्रभावकारी होना अतिआवश्यक है।उन्होने बताया कि आवश्यकता एवं परिस्थितियों के अनुसार सीवी के भी विभिन्न प्रकार होते हैं। किसी भी प्रकार के सीवी मे वांछित सूचनाओं का सही प्रकार से अंकित होना महत्वपूर्ण है | उन्होंने उदाहरण के माध्यम से समझाया कि किस प्रकार अध्यतन सूचनाओं का पहले होना आवश्यक है और उसके बाद सभी सूचनायें या जानकारी अवरोही क्रम मे अंकित होनी चाहिए। प्रोफ़ेसोर मीनाक्षी सिंह ने बायोडाटा, सीवी और संक्षिप्त सीवी के अन्तर को उदाहरणों के माध्यम से बताया कि वर्तमान समय मे सीवी का प्रयोग करना ही सुसंगत है।एसीवी को बनाने के तरीकों के अतिरिक्त प्रोफेसर सिंह ने आवरण पत्र की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उपयुक्त तरीके से संबोधित आवरण पत्र मे किस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया जाये, आवरण पत्र मे कौन कौन सी जानकारी दी जानी चाहिए?, आवरण पत्र मे किस प्रकार अपने कौशलों और अनुभवो का संक्षिप्त विवरण दिया जाये आदि बिंदुओं पर पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा प्रोफेसर मीनक्षी सिंह द्वारा की विडियो सीवी के बारे मे प्रतिभागियों को बताया गया। कार्यशालाा के समापन के अवसर पर अध्यापक शिक्षा विभाग के डॉ रवि कान्त द्वारा सभी अतिथियों, मुख्य वक्ता एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।दं कार्यशाला का संचालन अध्यापक शिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं आंतरिक गुणवत्ता निर्धारण प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ तरुण कुमार त्यागी द्वारा किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज कुमार

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