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भोजपुर में कृषि विज्ञान केंद्र की पहल पर समेकित कृषि की तरफ बढ़े किसान

आरा,20 फरवरी(हि. स)।भोजपुर जिले के उदवंत नगर प्रखण्ड इलाके में समेकित कृषि प्रणाली का विकास होने लगा है।प्रखण्ड के सुढनी गांव में विकसित हो रहे समेकित कृषि प्रणाली के बाद यहां मछली के छः तालाब का विकास हुआ है।इन तालाबों में विभिन्न प्रजाति की मछलियों का उत्पादन हो रहा है। उदवंत नगर के इस गांव में टिशू कल्चर का केला, अमरूद और विभिन्न तरह की सब्जियों की खेती की शुरुआत होने जा रही है।कुल 24 एकड़ में फैले भूभाग पर सभी खेतों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली लगी हुई है।इसी प्रणाली से यहां आधुनिक तरीके से जैविक खेती की शुरुआत हुई है। उदवंत नगर के सुढनी गांव में समेकित कृषि के हो रहे विकास का निरीक्षण करने जिला कृषि विज्ञान से जुड़े कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीके द्विवेदी भी पहुंचे और उन्होंने किसानों को आय में वृद्धि करने के कई मूलमंत्र भी दिए। कृषि वैज्ञानिक द्विवेदी ने खेतो में नमी की दिशा में सुधार के लिए उपाय भी बताए और जलकुंभी से खाद बनाने के तरीके भी बताए।उन्होंने जलकुंभी के खाद से खेतों को होने वाले फायदे से भी किसानों को अवगत कराया। जलकुंभी से निर्मित खाद के प्रयोग से खेतों में जलधारण क्षमता का विकास होगा।इससे जड़ो के विकास के लिए मिट्टी में आवश्यक नमी होगी और मिट्टी मुलायम भी होगी। जलकुंभी युक्त खाद के खेतों में प्रयोग से कृषि उत्पादन और गुणवत्ता में भारी वृद्धि होती है। कृषि वैज्ञानिक पीके द्विवेदी बताते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली से खेती करने का सबसे बड़ा लाभ है कि इससे कभी खेत खाली नही रहते।सालो भर अलग अलग खेती से लगातार किसानों की आय प्राप्त होती रहती है। पारम्परिक कृषि की अपेक्षा समेकित कृषि से किसानों की आय में तीन से चार गुणा अधिक आय हो जाती है। वे बताते हैं कि समेकित कृषि के मॉडल को भोजपुर जिले के कई इलाको में धरातल पर उतारा जा रहा है और जिले के किसान समेकित कृषि की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। समेकित कृषि से भोजपुर के किसानों की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार होगा और जिले के विकास में किसान समेकित कृषि अपनाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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