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ब्रिटेन के राष्ट्रीयता व सीमाएँ विधेयक के 'चिन्ताजनक' प्रस्तावों में बदलाव का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने, ब्रिटेन से उसकी सीमा नीति में प्रस्तावित बदलावों पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है. उन्होंने साथ ही आगाह करते हुए ये भी कहा है कि प्रस्तावित बदलावों से, कमज़ोर हालात वाले लोगों की, देश में अनियमित तरीक़े से आमद को अपराध क़रार दे दिया जाएगा. ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने, राष्ट्रीयता व सीमाएँ विधेयक (Nationality and Borders Bil) का प्रारूप, जुलाई 2021 में, हाउस ऑफ़ कॉमन्स में पेश किया था, ताकि ब्रिटेन “अपनी सीमाओं का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथों में ले सके”और दुरुपयोग को रोका जा सके. वो विधेयक, सामान्य प्रक्रिया के तहत, हाउस ऑफ़ कॉमन्स से, स्वीकृति के लिये हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स को भेजा गया था. मगर उच्च सदन – हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स ने इस प्रारूप के मुख्य प्रावधानों को रद्द कर दिया है और इसके बजाय, अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कुछ बदलाव किये जाने की सिफ़ारिशें की हैं. यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के इस रुख़ से ब्रिटेन सरकार को एक प्रखर संकेत मिलना चाहिये कि उसे इस विधेयक के प्रारूप में कुछ बहुत बड़े बदलाव करने होंगे. शरणार्थी कन्वेन्शन गाइड मिशेल बाशेलेट ने कहा, “मैं ब्रिटेन सरकार और हाउस ऑफ़ कॉमन्स में सांसदों से, इस संकेत पर कार्रवाई करने और प्रस्तावित विधेयक को अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून व 1951 के शरणार्थी कन्वेन्शन के अनुरूप बनाने का आग्रह करती हूँ.” उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा प्रस्ताव नहीं बदले गए तो, परिणामस्वरूप बनने वाला क़ानून, ब्रिटेन में अनियमित तरीक़ों से दाख़िल होने वाले लोगों को इस तरह से दण्डित करेगा, जैसेकि वो कोई अपराधी हों. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि इस तरह के किसी भी घटनाक्रम से, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और मानकों का उल्लंघन होगा और ब्रिटेन में शरण की चाह रखने वाले लोगों की आमद को, दो वर्गों में बाँट दिया जाएगा, और हर व्यक्ति की निजी परिस्थितियों के आधार पर उनकी ज़रूरतों पर ग़ौर किये जाने के अधिकार का हनन होगा. देशविहीनता का जोखिम मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने एक वक्तव्य में चेतावनी देते हुए ये भी कहा कि इस विधेयक के मूल प्रारूप में ये प्रावधान किया गया है कि ब्रिटिश नागरिकों को, उन्हें सूचित किये बिना और मनमाने तरीक़े से ही, उनकी ब्रिटिश नागरिकता से वंचित किया जा सकता है, जिससे उनके देशविहीन होने का जोखिम बढ़ जाएगा. ब्रिटेन सरकार की अगुवाई में प्रस्तावित इन बदलावों के आलोचकों ने गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है कि ये प्रस्ताव, शरण चाहने वालों पर, पनाह के लिये आवेदन करने से पहले ही, मुक़दमा चलाया जाना आसान बना देंगे. इन आलोचकों ने, ब्रिटेन में अन्तरराष्ट्रीय संरक्षा व पनाह चाहने वालों के आवेदनों पर प्रशासनिक कार्रवाई के लिये, देश से बाहर किसी स्थान पर कार्यालय बनाए जाने की योजना की भी निन्दा की है. मिशेल बाशेलेट ने कहा कि पनाह के आवेदनों पर विचार करने के लिये, ब्रिटेन से बाहर किसी स्थान पर प्रशासनिक कार्यालय बनाए जाने से, शरण की चाह रखने वालों के लिये, जबरन कहीं भेजे जाने, बहुत लम्बे समय तक अलगाव में रहने और उनकी स्वतंत्रता से वंचित किये जाने, व उनके मानवाधिकारों और गरिमा का उल्लंघन किये जाने के जोखिम बढ़ेगा. ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स लाइब्रेरी के अनुसार, वर्ष 2021 में, ब्रिटेन में शरण चाहने वाले लोगों के आवदनों की संख्या 48 हज़ार 540 पर पहुँच गई थी. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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