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एक स्थायी भविष्य के लिए लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण जरूरी

बीजिंग, 8 मार्च (आईएएनएस)। एक तरफ पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है और उबर रही है, और तमाम देशों की सरकारें बेहतर और हरित निर्माण के लिए नीतियों को स्थापित करने की ओर देख रही हैं, दूसरी तरफ महिलाओं का अपने स्वास्थ्य, अधिकार और समानता के लिए लड़ना पड़ रहा है। मौजूदा समय में महिलाओं और लड़कियों को अक्सर दुनिया भर में फैल रहे कोरोना वायरस के परिणामों का नुकसान भुगतना पड़ रहा है, जिसमें लड़कियों और महिलाओं को स्कूलों व कार्यस्थलों से हटा दिया गया है, जिसके कारण गरीबी और हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी गई है। लिंग आधारित हिंसा और हानिकारक प्रथाएं, जिनमें बाल विवाह और महिला जननांग विकृति शामिल हैं, जलवायु से प्रभावित आबादी में वृद्धि हुई है। जलवायु से संबंधित आपात स्थिति भी आवश्यक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं और मातृ स्वास्थ्य देखभाल सहित जीवन रक्षक दवाओं तक पहुंच में बड़े व्यवधान का कारण बनती हैं, जिससे मातृ और नवजात मृत्यु के उच्च जोखिम में योगदान होता है। साथ ही, दुनिया में अधिकतर महिलाओं को ऐसे बहुत से घरेलू काम करने पड़ रहे हैं, जिनके लिये उन्हें कोई मेहनताना नहीं मिलता है। ऐसे हालात को बेहतर बनाने के लिये हर लड़की के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुनिश्चितता, महिलाओं के लिये प्रशिक्षण और सम्मानजनक हालात व मेहनताने वाले कामकाज, लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रभावी कार्रवाई और सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल में बड़े पैमाने पर निवेश किये जाने की अति आवश्यकता है। (अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग) --आईएएनएस एएनएम

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