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इसराइल और फ़लस्तीनी इलाक़ों में बढ़ती हिंसा रोकने के लिये कार्रवाई की पुकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने येरूशेलम में अल अक़्सा मस्जिद परिसर के आसपास बढ़ती हिंसा के सिलसिले में इसराइली कार्रवाई की जाँच कराए जाने की पुकार लगाई है. यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदसानी ने शुक्रवार को ज़ोर देकर कहा कि क़ानून लागू किये जाने के अभियानों में बल प्रयोग सख़्ती से सीमित है और उस पर अन्तरराष्ट्रीय नियम व मानक लागू होते हैं. We are deeply concerned by the escalating violence in the #OPT & #Israel. Serious concerns that Israeli response involved widespread, unnecessary, & indiscriminate use of force & collective punishment. We call for calm & urge investigations.https://t.co/vceVmhocvp pic.twitter.com/bSVgFH4tp7 — UN Human Rights (@UNHumanRights) April 22, 2022 नीतियों व प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार प्रवक्ता ने जिनीवा में पत्रकारों से कहा, “अल अक़्सा मस्जिद परिसर के आसपास श्रद्धालुओं और कर्मचारियों पर इसराइली पुलिस द्वारा बल प्रयोग से लोग घायल हो रहे हैं और इसकी त्वरित, निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी जाँच की ज़रूरत है.” “जो तत्व किसी भी तरह के उल्लंघन के लिये ज़िम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना होगा, और बल प्रयोक पर नीतियों व प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार करना होगा ताकि आगे इस तरह के उल्लंघनों से बचा जा सके.” बीचे सप्ताहान्त अल अक़्सा मस्जिद परिसर के आसपास तनावों के दौरान इसराइली पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने से कम से कम 180 फ़लस्तीनी घायल हुए थे जिनमें 27 बच्चे थे. ध्यान रहे कि अल अक़्सा मस्जिद परिसर मुसलमानों और यहूदियों दोनों के लिये ही धार्मिक नज़रिये से बहुत महत्वपूर्ण है. पिटाई और गिरफ़्तारियाँ यूएन मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि जैसाकि वीडियो में नज़र आया है, इसराइली सुरक्षा बलों का बर्ताव, बड़े पैमाने पर, अनावश्यक और अन्धाधुन्ध बल प्रयोग पर गम्भीर चिन्ताएँ उठाता है. प्रवक्ता ने कहा, “वृद्धजन, महिलाओं, बच्चों और कम से कम से कम एक पत्रकार सहित बहुत से फ़लस्तीनियों को लाठियों से पीटा गया और उन पर बहुत नज़दीक से रबरनुमा गोलियाँ दागी गईं, जबकि उस पत्रकार से इसराइली रक्षा बलों के लिये किसी भी तरह का कोई ख़तरा उत्पन्न नहीं हो रहा था.” इसराइली पुलिस द्वारा, गत सप्ताहान्त के दौरान, येरूशेलम में कथित रूप से 470 लोगों को गिरफ़्तार किये जाने की भी ख़बरे हैं. उन सभी को वैसे तो रिहा कर दिया जाने की ख़बरें मगर उन्हें रिहा करने की शर्त के रूप में, आगामी सप्ताहों के दौरान, अल अक़्सा मस्जिद परिसर या येरूशेलम के पुराने इलाक़े में दाख़िल होने से रोक दिया गया है. इस सिलसिले में ताज़ा घटनाक्रम गुरूवार की सुबह हुआ जब इसराइली पुलिस ने अल अक़्सा मस्जिद परिसर में कथित रूप में छापा मारकर, वहाँ मौजूबद फ़लस्तीनियों को इलाक़े से बाहर निकाल दिया. शुक्रवार सुबह भी बीती रात में और ज़्यादा हिंसा होने की ख़बरें मिली हैं और इसराइली बलों की कार्रवाई में एक पत्रकार, एक वृद्ध व्यक्ति और एक चिकित्साकर्मी घायल हो गए. अन्य स्थानों पर भी प्रभाव मानवाधिकार प्रवक्ता रवीना शमदसानी ने कहा कि येरूशेलम में तनाव के कारण अन्य स्थानों पर भी प्रभाव पड़ता है. इस सप्ताह फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों ने इसराइली की तरफ़ निशाना बनाकर, छह रॉकेट और एक मोर्टार हमला किया. उसकी प्रतिक्रिया में, इसराइल ने ग़ाज़ा पट्टी में अनेक सशस्त्र गुटों के सैन्य ठिकानों पर हमले किये. किसी भी स्थान से किसी व्यक्ति के हताहत होने के समाचार नहीं हैं. इन घटनाक्रमों से पहले भी क़ाबिज़ पूर्वी येरूशेलम सहित पश्चिमी तट और इसराइल में कई सप्ताहों से हिंसा होती रही है. इसराइल के बीरशेबा, ब्नेई ब्रैक, हादेरा और तेल अवीव इलाक़ों में एक हमले में 12 इसराइलियों और दो विदेशियों की मौत हो गई. इसराइल में हुए इन हमलों को अनेक वर्षों में बहुत गम्भीर बताया गया है. सैन्य अभियान तेज़ हुए प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिमी तट, विशेष रूप में जेनिन में इसराइल के सघन हुए सैन्य अभियानों और फ़लस्तीनी चरमपंथियों द्वारा बारूदी हथियारों का प्रयोग करने के कारण, फ़लस्तीनियों के लिये जोखिम उत्पन्न हो गया है. इसराइली सुरक्षा बलों ने अप्रैल महीने के दौरान अब तक 19 फ़लस्तीनियों को मार दिया है जिनमें तीन लड़के और तीन महिलाएँ हैं. अनेक अन्य लोग घायल हुए हैं. पश्चिम तट के अनेक इलाक़ों में छापेमारी और गिरफ़्तारी अभियान भी सघन हुए हैं, जिनमें अत्यधिक बल प्रयोग करने पर चिन्ताएँ उत्पन्न हुई हैं. साथ ही वांछित लोगों के परिवारों के साथ दुर्व्यवहार और मनमाने तरीक़े से उनकी गिरफ़्तारियाँ किये जाने का मामले भी सामने आए हैं. रवीना शमदसानी ने कहा, “हम यूएन महासचिव की – शान्ति बनाए रखने की पुकार दोहराते हैं और आग्रह करते हैं कि जिन घटनाओं में लोग हताहत हुए हैं वहाँ जाँच कराई जाए.” अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की दरकार इस बीच एक स्वतंत्र यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञ माइकल लिन्क ने, बढ़ती हिंसा से निपटने के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से लघु और दीर्घ अवधि वाले सभी उपाय तुरन्त लागू करने का आहवान किया है. क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्रों में मानवाधिकारों की स्थिति के लिये विशेष रैपोर्टेयर माइकल लिन्क ने कहा है, “पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान, 55 वर्षों से इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में हिंसा का बढ़ता स्तर देखा गया है.” “हिंसा के इस नए स्तर के मद्देनज़र अगर अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई नहीं की गई तो उससे इस तरह की स्थिति और भी बदतर होगी.” माइकल लिन्क ने कहा कि इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी इलाक़ों पर अपना क़ब्ज़ा बरक़रार रखने के लिये हिंसा की ज़रूरत का स्तर, पिछले 16 महीनों के दौरान लगातार बढ़ता देखा गया है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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