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दंतेवाड़ा : फागुन मड़ई में आमंत्रित देवी-देवताओं की समय से पूर्व हुई विदाई

दंतेवाड़ा, 26 मार्च (हि.स.)। जिला मुख्यालय में चल रहे रियासत कालीन ऐतिहासिक फागुन मड़ई की शुरुआत 20 मार्च को पहली पालकी के साथ फागुन मड़ई की हुई थी, लेकिन गुरुवार को छठवीं पालकी निकलने और देर शाम मंदिर वापसी के बाद आमंत्रित सभी देवी-देवताओं को ससम्मान विदाई कर घर लौटने की घोषणा प्रधान पुजारी हरेन्द्रनाथ जिया ने कर दिया था। जिसके परिपालन में शुक्रवार सुबह से ही फागुन मड़ई में शामिल देवी-देवताओं को ससम्मान विदाई की व्यवस्था की गई। कम से कम लोगों के साथ आयोजन के परंपराओं का निर्वहन की व्यवस्था में प्रसाशन लगा हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार गुरुवार की देर शाम मंदिर समिति सचिव व एसडीएम अविनाश मिश्रा, व्यवस्थापक व तहसीलदार यशोदा के तारप, प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ जिया व सेवादारों, मांझी-मुखियाओं के बीच लम्बी बैठक के बाद सर्वसम्मति बनी, जिसमें अगली सुबह यानी आज शुक्रवार 26 मार्च को सभी देवी देवताओं की ससम्मान विदाई की घोषणा की गई थी। प्रधान पुजारी ने बताया कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सीमित लोगों के साथ ही सातवीं, आठवीं और नवमी पालकी निकलेगी और आंवरामार, होलिका दहन, बड़े मड़ई में नगर परिक्रमा, रंग-भंग सहित बाकी सभी परंपराओं का निर्वहन किया जावेगा। रियासतकालीन शताब्दियों पुराने फागुन मड़ई की परंपरा में यह पहला अवसर है जब आयोजन के बीच में ही देवी देवताओं की विदाई कर दी गई हो। फागुन मड़ई के आयोजन पर रियासत कालीन परंपरानुसार पादुका पूजन की रस्म के बाद आमंत्रित सभी देवी-देवताओं को उपहारों के साथ विदा करने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार 13 वें दिन यानी एक अप्रैल को विदाई होना निर्धारित किया गया था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की रोकथाम के लिए राज्य भर में घोषित धारा 144 को देखते हुए अचानक यह फैसला लिया गया और आज सुबह से ही देवी-देवताओं को ससम्मान विदाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

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