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सरकार और नक्सलियों के बीच समाधान के लिए निकाली गई दांडी यात्रा-02

सरकार और नक्सलियों के बीच समाधान के लिए निकाली गई दांडी यात्रा-02 नारायणपुर, 13 मार्च (हि.स.)। नक्सलवाद की लड़ाई में दूरस्थ अंचल में निवासरत ग्रामीणों को दो पाटों के बीच पीसने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इससे नक्सली हिंसा से पीड़ित हजारों ग्रामीण काल के गाल में समा गए है। वहीं हजारों ग्रामीण बेघर हो गए हैं। इससे सरकार एवं नक्सलियों के बीच चल रही लडाई को बातचीत के जरिए खत्म करने की पहल नई शांति प्रक्रिया समूह ने शुरू की है। इस पहल को अपने अंजाम तक पहुंचाने के लिए दांडीयात्रा-02 के माध्यम से बस्तर में शांति-अमन का संदेश के लिए पैदल यात्रा अबूझमाड़ से राजधानी तक निकाली गई है। जिला मुख्यालय के गंराजी से शुक्रवार की शाम 4 बजे रायपुर के लिए रवाना हुए है। गंराजी एजुकेशन हब से होते हुए गुरिया में पहुंचकर रात में विश्राम के बाद शनिवार की सुबह फिर से अंतागढ मार्ग से रायपुर के लिए रवाना हो गये हैं। बस्तर में जारी नक्सली हिंसा में सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 20 सालों में 12 हजार से अधिक लोग मारे गए है। इसमें करीब नौ हजार से अधिक आम नागरिक शामिल है, वहीं हजारों लोग बेघर हो गए है। इसके बावजूद लड़ाई निरतंर जारी है। इस लड़ाई को बातचित के जरिए खत्म करने की पहल शुरू हुई है। इस लिए नई शांति प्रक्रिया समूह के द्वारा पिछले साल जनमत संग्रह किया था, इसमें 92 प्रतिशत लोगों ने नक्सल समस्या का समाधन बातचित से करने का प्रयास किये जानने पर अपनी सहमति दी थी। इससे बस्तर में शांति का पैगाम देने के लिए दांडी यात्रा-2 की शुरूआत की गई है। इस दांडी यात्रा में पदयात्री संघर्षरत दोनों पक्षों से अनुरोध कर रहे है कि जैसा नेपाल और कोलम्बिया जैसे देशों के लिए किया गया वैसा ही मध्य भारत में चल रही दोनों पक्षों की हिंसा को समाप्त कर तुंरत बातचित से समाधान ढूंढने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसमें दोनों पक्षों के पीड़ित पहली बार एक मंच्र पर उपस्थित होंगे । वहीं दोनों पक्षों की बातचित के लिए एक शांति समूह भी तैयार हुआ है जो दोनों पक्षों यानि सरकार और माओवादियों को वार्ता करने के लिए मनवाने का प्रयास कर रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने बताया कि दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र राज्य में शांति स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक जीवन के 50 साल पूरे होने वाले हैं। इंदिरा गांधी को छोड़कर किसी भी प्रधानमंत्री ने इस विषय को लेकर अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या को गंभीरता से नहींलेंगे तब तक इससे निपटारा नहीं पाया जा सकेगा। पदयात्रा प्रभारी शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि नक्सल हिंसा पर अब तक सरकार कुछ नहीं कर पाई है। जनता चाहती है कि एक टेबल पर आकर दोनों पक्ष कोशिशकरे. समस्या का समाधान हो, इस मिशन के लिए 10 सदस्य दल की टीम बनी है। इसमें पत्रकार, वकील, राजनीतिक दल के लोग समेत अन्य सदस्य शामिल हैं। शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि बस्तर के लोग शांति चाहते हैं। छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि यदि वे चुनाव जीतते हैं तो नक्सली समस्या के समाधान के लिए बातचीत के गंभीर प्रयास किए जाएंगे। आज ढाई साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस ओर कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम दोनों पक्षों से अनुरोध करते हैं, कि दोनों पक्ष हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत का प्रयास करे। हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

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