साइरस मिस्त्री ने मार्च 2021 के फैसले से प्रतिकूल टिप्पणियां हटवाने को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

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नई दिल्ली, 1 मार्च (आईएएनएस)। शापूरजी पल्लोनजी समूह के प्रमुख साइरस मिस्त्री ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देकर पिछले साल मार्च में एनसीएलएटी के आदेश को रद्द करते हुए, जिसने उन्हें टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल कर दिया, शीर्ष अदालत द्वारा पारित फैसले में उनके खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का निर्देश देने की मांग की है। मिस्त्री का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जनक द्वारकादास ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल ने कुछ टिप्पणियों को हटाने के लिए एक आवेदन दायर किया है, जो उनकी प्रतिष्ठा और चरित्र को प्रभावित करते हैं। बेंच में शामिल जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और हिमा कोहली ने कहा कि अदालत मामले की सुनवाई 10 दिन बाद करेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश एन साल्वे और ए.एम. सिंघवी ने टाटा संस का प्रतिनिधित्व करंजावाला एंड कंपनी के अधिवक्ताओं की एक टीम के साथ किया। हाल ही में, प्रधान न्यायाधीश रमण की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने मिस्त्री द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर विचार किया। शीर्ष अदालत ने अपने 15 फरवरी के आदेश में कहा था : शपथपत्र दाखिल करने से छूट मांगने वाले आवेदनों की अनुमति है। समीक्षा याचिकाओं की मौखिक सुनवाई की मांग करने वाले आवेदनों की अनुमति है। बुधवार, 9 मार्च 2022 को समीक्षा याचिकाओं की सूची बनाएं। इस पर न्यायमूर्ति राम सुब्रमण्यम ने असहमति जताई। न्यायमूर्ति राम सुब्रमण्यम ने अपनी असहमतिपूर्ण राय में कहा : अत्यंत सम्मान के साथ मुझे आदेश से सहमत होने में असमर्थता के लिए खेद है। मैंने समीक्षा याचिकाओं को ध्यान से देखा है और मुझे निर्णय की समीक्षा करने के लिए कोई वैध आधार नहीं मिला है। में उठाए गए आधार समीक्षा याचिकाएं समीक्षा के मापदंडों के अंतर्गत नहीं आती हैं और इसलिए मौखिक सुनवाई की मांग करने वाले आवेदन खारिज किए जाने योग्य हैं। --आईएएनएस एसजीके

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