10 में से 1 व्यक्ति मोबाइल उपकरणों पर फिशिंग लिंक पर करते है क्लिक
नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। फिशिंग ने काम और व्यक्तिगत ई-मेल से लेकर एसएमएस, सोशल मीडिया और एसएमएस, सोशल मीडिया तक घुसपैठ कर लिया है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि 10 में से एक व्यक्ति अपने फोन डिवाइस पर फिशिंग लिंक पर क्लिक करते है। भारत सहित 90 देशों में 500,000 संरक्षित उपकरणों के लेस्ट के अनुसार, केवल संदेश प्राप्त करना से नहीं है, बल्कि वास्तव में फिशिंग लिंक पर क्लिक किया गया है। क्लाउड सुरक्षा फर्म वांडेरा (एक जेएमएफ कंपनी) की रिपोर्ट के अनुसार, फिशिंग हमलों में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या में 160 प्रतिशत (साल-दर-साल) की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, आज, 93 प्रतिशत फिशिंग साइटें अपनी धोखाधड़ी को छुपाने के लिए एचटीटीपीएस सत्यापन का उपयोग करते है। बात दें कि फिशिंग एक प्रकार की सोशल इंजीनियरिंग है, जहाँ एक हमलावर एक धोखाधड़ी वाला संदेश भेजता है, जो लोगों की संवेदनशील जानकारी हासिल करता है। रिपोर्ट में कहा, वास्तव में, क्लाउड-सक्षम उद्यमों के इस युग में एक हमलावर के लिए यूजर्स क्रेडेंशियल कहीं अधिक मूल्यवान हैं, क्योंकि वे संग्रहित संवेदनशील डेटा को एकत्रित करते है। सॉफ्टवेयर-ए-ए-सर्विस (सास) एप्लिकेशन, ऑनलाइन फाइल स्टोरेज रिपॉजिटरी और डेटा सेंटर में डिवाइस से परे प्रबंधित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, वे पहले से कहीं अधिक स्थानों पर यूजर्स तक पहुंच रहे है और उपभोक्ताओं के व्यावसायिक आकउंट और डेटा को टारगेट कर रहे है। --आईएएनएस एनपी/आरजेएस