Political Kisse: वों चुनाव जब जनता ने इंदिरा, अटल, चरण सिंह, मायावती और राहुल गांधी तक को नहीं बख्शा

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की राजनीति देश की दिशा और दशा तय करती है। यहां की सियासत ने पहले चुनाव से लेकर अब तक कई बड़े उलटफेर देखे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल...
 Indira, Atal, Charan Singh, Mayawati and Rahul Gandhi
Indira, Atal, Charan Singh, Mayawati and Rahul GandhiRaftaar

लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राजनीति देश की दिशा और दशा तय करती है। यहां की सियासत ने पहले चुनाव से लेकर अब तक कई बड़े उलटफेर देखे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, राजा कर्ण सिंह, चौधरी चरण सिंह, संजय गांधी, हेमवती नंदन बहुगुणा, मुरली मनोहर जोशी, कांशी राम, मायावती, चौधरी अजित सिंह, डिंपल यादव, जयंत चौधरी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ऐसे बड़े नाम हैं, जिन्हें लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी को राजनारायण ने दी शिकस्त

देश के पहले प्रधानमंत्री की बेटी इंदिरा गांधी को साल 1977 के लोकसभा चुनाव में उन्हें छोटे कद के एक समाजवादी नेता राजनारायण ने ऐसी चुनौती दी कि इंदिरा के साथ-साथ कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हार गए। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में देशभर में कांग्रेस विरोधी जर्बदस्त लहर थी। इंदिरा को उन्हीं के क्षेत्र रायबरेली में जाकर राजनारायण ने लोकसभा चुनाव में हरा दिया। इसके बाद पूरी कांग्रेस पार्टी ही अलग-थलग पड़ गई। राजनारायण ने इंदिरा गांधी को 55 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था।

गांधी परिवार की गढ़ माने जाने वाली अमेठी सीट से चुनाव हार गए संजय गांधी

इसी चुनाव में इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी नेहरू गांधी परिवार की गढ़ माने जाने वाली अमेठी सीट से चुनाव हार गए थे। भारतीय लोकदल के प्रत्याशी रवीन्द्र प्रताप सिंह ने संजय गांधी को 75 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में कांग्रेस के कई दूसरे बड़े नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा। इनमें शीला कौल, संकटा प्रसाद, जगदीश चंद्र दीक्षित, राम पूजन पटेल, विश्वनाथ प्रताप सिंह, बलराम सिंह यादव, महाराज सिंह और शाहनवाज खां प्रमुख थे।

जनसंघ प्रत्याशी अटल बिहारी वाजेपयी को मिली थी दो सीटों हार

दूसरी लोकसभा के लिए 1957 में हुए चुनाव में जनसंघ प्रत्याशी अटल बिहारी वाजेपयी लखनऊ और मथुर से चुनाव मैदान में उतरे थे। उस वक्त अटल जी का वो राजनीतिक कद नहीं था, जिसकी आज देश-दुनिया में चर्चा होती है। छात्र राजनीति से उठकर वह अपनी जगह सक्रिय राजनीति में बना रहे थे। दोनों सीटों से उन्हें हार मिली। 1962 के आम चुनाव में अटल जी लखनऊ और बलरामपुर दो सीटों से जनसंघ प्रत्याशी के तौर चुनाव मैदान में उतरे थे। दोनों सीटों पर वो दूसरे स्थान पर रहे।

चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरनगर से हारे थे पहला चुनाव

देश की सत्ता में सिरमौर रहे भारत रत्न चौधरी चरण सिंह ने पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 1971 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से लड़ा था। सीपीआई के ठाकुर विजयपाल सिह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1980 के चुनाव में रायबरेली सीट से जनता पार्टी प्रत्याशी राजमाता विजयाराजे सिंधिया को कांग्रेस उम्मीदवार इंदिरा गांधी ने हराया था। इसी चुनाव में जनता पार्टी के डॉ. मुरली मनोहर जोशी अल्मोड़ा सीट से हारे थे।

1984 के चुनाव में मुरली मनोहर जोशी को देखना पड़ा था हार का मुंह

1984 के आम चुनाव में अल्मोड़ा सीट से भाजपा के बड़े नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी को हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं इसी चुनाव में इलाहाबाद से हेमवती नंदन बहुगुणा लोकदल प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी मशहूर सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन ने हराया था। इनके अलावा बदायूं से शरद यादव (लोकदल), अमेठी से मेनका गांधी (निर्दलीय), सलेमपुर से जनेश्वर मिश्र (लोकदल), बलिया से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (जनता पार्टी) को हार मिली थी।

1984 में मायावती ने कैराना से लड़ा था निर्दलीय चुनाव

1984 में मायावती ने कैराना से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में मायावती को मात्र 44445 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रही। कांग्रेस के अख्तर हसन ये चुनाव जीता था। 1985 में बिजनौर सीट पर लोकसभा उपचुनाव में मायावती मैदान में उतरी। इसमें कांग्रेस से मीरा कुमार चुनावी मैदान में उतरी और पहली बार सांसद बनीं। उन्होंने लोकदल प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को चुनाव हराया। मायावती तीसरे नंबर पर रहीं। 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में मायावती को जीत हासिल हुई और वह पहली बार बिजनौर सीट से सांसद बनीं। 1991 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को भाजपा के नरेश बालियान ने हराया था। सईद ने 1989 में इसी सीट से चुनाव जीता था।

1998 के आम चुनाव में कांशीराम सहारनपुर से हार गए थे

1998 के आम चुनाव में बसपा संस्थापक कांशीराम सहारनपुर से मैदान में उतरे थे। उन्हें भाजपा के नकली सिंह ने हराया था। 1999 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अटल बिहारी वाजपेयी ने कांग्रेस प्रत्याशी राजा कर्ण सिंह को हराया था। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने पहली बार साल 2009 में चुनाव लड़ा। उन्होंने फिरोजाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने हराया था। इसी चुनाव में सपा प्रत्याशी भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी को भाजपा प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ ने पटखनी दी थी।

2014 के चुनाव में गाजियाबाद से राज बब्बर को वीके सिंह ने भारी अंतर से दी शिकस्त

2014 के चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सिने स्टार राज बब्बर को भाजपा उम्मीदवार जनरल वीके सिंह ने पांच लाख 67 हजार 260 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी थी। इसी चुनाव में भोजपुरी स्टार रवि किशन ने कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। वहीं मथुरा से भाजपा प्रत्याशी प्रसिद्ध सिने स्टार हेमा मालिनी ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख नेता जयंत चौधरी को हराया था।

2019 के चुनाव में जयंत चौधरी भी बागपत सीट से हारे थे

2019 में रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। इसमें छोटी चौधरी अजित सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा। इसी चुनाव में चौधरी अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी भी बागपत सीट से हारे थे। इसी चुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव कन्नौज सीट से, भाजपा उम्मीदवार प्रसिद्ध अभिनेत्री जयप्रदा रामपुर से और भाजपा प्रत्याशी मशहूर भोजपुरी अभिनेता दिनेश यादव निरहुआ आजमगढ़ सीट जीतने में नाकाम रहे।

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