Lok Sabha Election: महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर में छिड़ा है सियासी दांवपेंच, भाजपा- कांग्रेस में जंग

Lok Sabha Election 2024: पोरबंदर लोकसभा सीट में पाटीदार समाज का प्रभुत्व है। इसके अलावा महेर समाज और समुद्री किनारे के क्षेत्र में खारवा समाज के लोग बड़ी संख्या में बसे हैं।
Mansukh Mandaviya vs Lalit Vasoya
Mansukh Mandaviya vs Lalit VasoyaRaftaar

पोरबंदर, (हि.स.)। महात्मा गांधी की जन्मभूमि और भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा सुदामा की जन्मभूमि के तौर पर पोरबंदर विश्वविख्यात है। देश के पश्चिमी समुद्र तट किनारे बसा यह शहर अंग्रेजी शासन में राजघराने के अंतर्गत था। यहां जेठवा राजवंश के राजाओं ने शासन किया। महात्मा गांधी के कीर्ति मंदिर, सुदामा मंदिर के कारण यह क्षेत्र अब अंतरराष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित हो चुका है। जूनागढ़ लोकसभा सीट से यह वर्ष 1977 में अलग हुआ, तब से हुए 13 लोकसभा चुनावों में यहां भाजपा का दबदबा रहा है। भाजपा ने इस सीट पर 9 बार, कांग्रेस ने 3 बार, जनता दल ने एक बार विजय का पताका फहराया है।

पोरबंदर लोकसभा सीट में पाटीदार समाज का प्रभुत्व

पोरबंदर लोकसभा सीट में पाटीदार समाज का प्रभुत्व है। इसके अलावा महेर समाज और समुद्री किनारे के क्षेत्र में खारवा समाज के लोग बड़ी संख्या में बसे हैं। मुस्लिम और कोली समाज का मत भी परिणाम पर असर डालता है। इस क्षेत्र में लोग कृषि, मत्स्य और पशुपालन से जुड़े हैं। जेतपुर में साड़ी उद्योग समेत कई अन्य उद्योग भी इस क्षेत्र को समृद्ध बनाते हैं।

पोरबंदर लोकसभा सीट के अंदार आती है 7 विधानसभा सीट

पोरबंदर लोकसभा सीट के अंतर्गत 3 जिलों की 7 विधानसभा सीट आती है। इसमें गोंडल, जेतपुर, धोराजी (राजकोट जिला), पोरबंदर, कुतियाणा पोरबंदर जिला और माणावदर व केशोद (जूनागढ़ जिला) शामिल हैं। वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में इन 7 सीटों में 4 सीट पर भाजपा, 2 पर कांग्रेस और 1 सीट समाजवादी पार्टी ने जीती थी। हालांकि कांग्रेस विधायक और महेर समाज के अग्रणी अर्जुन मोढवाडिया बाद में पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसके कारण कांग्रेस की सीटों की संख्या 2 से घटकर 1 हो गई। लोकसभा चुनाव के साथ ही पोरबंदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी साथ-साथ होगा।

पोरबंदर लोकसभा सीट का इतिहास

पोरबंदर लोकसभा सीट के वर्ष 1977 में अस्तित्व में आने के बाद यहां से पहली बार लोकदल के धरमशी डायाभाई पटेल ने जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 1980 में कांग्रेस से ओडेदरा मालदेवजी सांसद चुने गए। वर्ष 1981 में मालदेवजी के निधन के बाद वर्ष 1984 में इस सीट पर उनके पुत्र भरत ओडेदरा कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर जीत कर आए। वर्ष 1989 से पोरबंदर सीट पर भाजपा का वर्चस्व कायम रहा। वर्ष 2009 में कांग्रेस के विठ्ठल रादडिया ने चुनाव में जीत हासिल की। वहीं, वर्ष 1989 में जनता दल के बलवंत मणवर ने जीत हासिल की। इनके अलावा वर्ष 1991 में भाजपा के हरिलाल पटेल, 1996 में भाजपा के गोरधनभाई जाविया, 1998 में भाजपा के गोरधनभाई जाविया, वर्ष 1999 में भाजपा के गोरधनभाई जाविया, वर्ष 2004 में भाजपा के हरिलाल पटेल, वर्ष 2009 में कांग्रेस के विठ्ठलभाई रादडिया, वर्ष 2013 में भाजपा के विठ्ठलभाई रादडिया, वर्ष 2014 में भाजपा के विठ्ठलभाई रादडिया, वर्ष 2019 में भाजपा के विठ्ठलभाई रादडिया इस क्षेत्र से सांसद चुने गए।

वर्ष 2009 में कांग्रेस के हाथ आई सीट इस तरह चली गई

वर्ष 2008 में लोकसभा और विधानसभा सीटों के पुनर्सीमांकन के बाद वर्ष 2009 में पहली बार चुनाव हुआ। इसमें भाजपा ने मनसुखभाई खांचरिया को टिकट दिया था, लेकिन इस सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे विठ्ठलभाई रादडिया ने उन्हें 39500 मतों से शिकस्त दी। इस तरह विठ्ठल भाई रादडिया के कारण कांग्रेस को इस सीट पर कब्जा मिला। जीत के बाद विठ्ठलभाई रादडिया ने अपनी विधानसभा सीट धोराजी खाली की, जहां से उनके पुत्र जयेश रादडिया चुनाव जीतकर विधायक बने। वर्ष 2013 में विठ्ठलभाई रादडिया ने कांग्रेस के साथ बगावत कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इसके बाद पोरबंदर सीट पर उप चुनाव हुआ, जिसमें विठ्ठलभाई रादडिया को भाजपा ने मैदान में उतारा। इस चुनााव में विठ्ठलभाई ने जीत हासिल की। इस तरह यह सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल कर भाजपा के पास चली गई।

भाजपा ने वर्ष 2014 में भी विठ्ठल भाई रादडिया को रिपीट किया। इसके बाद वर्ष 2019 में भाजपा ने रमेश धड़ुक को अपना उम्मीदवार बनाया। इन्होंने कांग्रेस के ललित वसोया को 3.34 लाख मतों के अंतर से हराया।

इस बार केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया मैदान में

भाजपा ने इस सीट पर केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया को उम्मीदवार बनाया है। अब तक वे राज्यसभा के सदस्य थे। पार्टी ने उनके कामों का मूल्यांकन करते हुए लोकसभा के रास्ते संसद में भेजने का निर्णय किया। हालांकि वे राष्ट्रीय स्तर पर काम करने के कारण स्थानीय नेताओं के संपर्क में नहीं हैं। वे मूलत: भावनगर जिले के पालीताणा तहसील के हनोल गांव के हैं। वे वर्ष 2002 में गुजरात के सबसे युवा विधायक के रूप में भी चुने जा चुके हैं। पोरबंदर विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन मोढवाडिया के भाजपा में शामिल होने को उनके लिए अहम माना जा रहा है।

दूसरी ओर कांग्रेस ने इस सीट पर ललित वसोया को उतारा है। ललित वसोया किसान नेता रहे हैं। साथ ही वे कांग्रेस के पूर्व विधायक अर्जुन मोढवाडिया के साथ मिलकर लंबे समय तक काम कर चुके हैं। इसके अलावा इस सीट पर पोरबंदर के नाझथ ओडेदरा भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वे पूर्व में कांग्रेस के जिला प्रमुख और आम आदमी पार्टी के प्रदेश उप प्रमुख रह चुके हैं। नाथा ओडेदरा भी पूर्व विधायक अर्जुन मोढवाडिया से राजनीति का पाठ पढ़ चुके हैं।

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