अमेठी-रायबरेली में कांग्रेस क्या आज खोलेगी पत्ते? प्रियंका-राहुल की उम्मीदवारी की चर्चा तेज़

कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली से अब तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। ये दोनों ही सीटें गांधी परिवार की पारंपरिक सीटें रही हैं।
Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi
Rahul Gandhi and Priyanka Gandhitwitter/bharatjodo

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण की वोटिंग के लिए नामांकन 26 अप्रैल से शुरू हो गए हैं। पांचवे चरण में अमेठी और रायबरेली में भी चुनाव होने हैं। हालांकि, कांग्रेस ने अपनी दोनों ही पारंपरिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि रायबरेली से प्रियंका गांधी वाड्रा और अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़ सकते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो 27 अप्रैल को दोनों के नाम का ऐलान किया जा सकता है।

गांधी परिवार का गढ़ है रायबरेली

उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर हुए पहले दो चुनावों में यानी 1952 और 1957 में फिरोज़ गांधी ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर 1952 से 1977 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। इस दौरान इंदिरा गांधी ने यहां से दो चुनाव जीते। 1977 में ये सीट जनता पार्टी के पास गई, 1980 में फिर इंदिरा गांधी ने यहां फिर से कांग्रेस का झंडा गाड़ा, इसके बाद 1996 तक ये सीट कांग्रेस के पास ही रही। 1996 और 1998 में हुए चुनावो में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 1999 में ये सीट फिर से कांग्रेस के कब्जे में आ गई थी। सोनिया गांधी इस सीट पर 2004 से अप्रैल 2024 तक सांसद रहीं। उनके राज्यसभा जाने के बाद ये सीट फिलहाल खाली है।

अमेठी से गांधी परिवार के चार सदस्य रहे हैं सांसद

रायबरेली की तरह ही अमेठी भी गांधी परिवार की पारंपरिक सीट है। इस सीट पर संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सांसद रह चुके हैं। 1967 में अस्तित्व में आई इस सीट पर अभी तक सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है। 67 और 71 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 77 में ये सीट जनता पार्टी के खाते में गई। 1980 में संजय गांधी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। हालांकि, उनके निधन के बाद 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी इस सीट से जीते। इसके बाद राजीव ने लगातार तीन चुनाव इस सीट से जीते। 1991 में उनकी हत्या के बाद जो उपचुनाव हुए उसमें भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 96 में भी ये सीट कांग्रेस के पास रही। हालांकि, 1998 में ये सीट बीजेपी के खाते में गई। साल 1999 में सोनिया गांधी ने ये सीट जीती थी। इसके बाद के तीन चुनावों में राहुल गांधी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी।

2014 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने इस सीट पर राहुल गांधी को टक्कर दी थी। स्मृति जीती नहीं, लेकिन अगले पांच साल उन्होंने अमेठी में खूब मेहनत की और 2019 में राहुल गांधी को कड़ी मात दी थी।

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