नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित है. इस विधि विधान के साथ मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं. हाथ में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा लिए होती हैं मां. सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में विराजमान होता है. इसलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है. मां सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए तैयार रहती हैं. अतः मां चंद्रघंटा हर स्थिति में भक्तों को कष्ट से छुटकारा दिलाती हैं.
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें।इसके बाद मां को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं। फिर मां चंद्रघंटा की आरती करें। पूजा के पश्चात किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।