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नई-दिल्ली

Supreme Court की लताड़ के बाद घुटनों पर आया Patanjali, भ्रामक विज्ञापन बनाने की गलती मानी, मांगी माफी

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। पतंजलि आयुर्वेद ने एक नोटिस के जवाब में सुप्रीम कोर्ट से भ्रामक विज्ञापनों के मामले में माफी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की थी। पतंजलि पर भ्रामक और झूठे प्रचार का आरोप लगा है।

पतंजलि ने मांगी माफी

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि पर कथित तौर पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और एलोपैथी की आलोचना करने वाले बयान देने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने 19 मार्च को कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की थी। इसके बाद आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी और इस तरह के विज्ञापन भविष्य में न करने की बात कही।

भ्रामक विज्ञापनों का है मामला

27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद की आलोचना की और कंपनी को उत्पादों को रोग उपचार के रूप में प्रचारित करने से प्रतिबंधित कर दिया। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी किया था। अदालत ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पर निर्देशों के उल्लंघन पर सवाल उठाया और संभावित अवमानना ​​कार्यवाही की चेतावनी दी।

किसी भी तरह के भ्रामक विज्ञापन पर कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को पिछले वर्ष 21 नवंबर को की गई अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार, किसी भी दवा प्रणाली की आलोचना करने वाले किसी भी मीडिया बयान चाहे वह प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में हो उसे जारी करने के खिलाफ चेतावनी दी थी।

देश को गुमराह किया

पीठ ने विभिन्न बीमारियों के इलाज में इसकी दवाओं की प्रभावशीलता के बारे में पतंजलि आयुर्वेद के कथित झूठे दावों और विज्ञापनों में गलत बयानी के बारे में सरकार से सवाल करते हुए टिप्पणी की कि देश को गुमराह किया गया है।

चंडीगढ़ हाई कोर्ट में भी हो चुकी याचिका दायर

इससे पहले भी भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के चंडीगढ़ हाई कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर हुई थी। उस समय भी कोर्ट ने पतंजलि कंपनी से जवाब मांगा था। पतंजलि के सामानों को याचिकार्ता ने झूठा प्रचार बताया था और कहा था कि आयुर्वेद के नाम पर पतंजलि भ्रम फैला रही है।

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