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Lok Sabha Poll: वोट का खेल, किसी को बना सकता है राजा तो किसी को भिखारी; पढ़ें 1 से 0 वोट का चुनावी किस्सा

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। आपने किसको वोट दिया? ये सवाल अक्सर ही लोग एक-दूसरे से पूछते हैं। चुनाव में हार जीत तो चलती रहती है लेकिन क्या आपको पता है राजनीति में कुछ ऐसे भी किस्से हैं जब सिर्फ 1 वोट से एक प्रत्याशी कुर्सी को मालिक बन गया तो दूसरे को खाली हाथ घर लौटना पड़ा।

जब 1 वोट से चुनाव हारे नेता

ऐसा ही कुछ कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2004 में सांथेमरहल्ली विधानसभा सीट पर जनता दल (सेकुलर) के ए आर कृष्णमूर्ति कांग्रेस के आर ध्रुवनारायण से सिर्फ 1 वोट से हार गए। कृष्णमूर्ति को 40751 वोट मिले जबकि ध्रुवनारायण सिर्फ 1 वोट (40752) के साथ जीत दर्ज की। इसके बाद राजस्थान विधानसभा चुनाव 2008 में कांग्रेस नेता सीपी जोशी मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे थे। जब चुनाव के परिणाम आए तो सारा खेल पलट गया। मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करने वाले सीपी जोशी को हार का सामना करना पड़ा। उनके खिलाफ लड़ने वाले BJP के कल्याण सिंह चौहान ने 62,216 वोटों से बाजी मार ली। जबकि सीपी जोशी को 62,215 वोट मिले। सिर्फ 1 वोट के अंतर से सीपी जोशी को घर लौटना पड़ा।

10 वोटों के अंतर से भी पासा पलटा

चुनावों में सिर्फ 1 वोट ही नहीं जबकि 10 वोटों के अंतर से भी हार-जीत का खेल हुआ है। दरअसल हुआ ये था कि मिजोरम विधानसभा चुनाव 2018 में तुइवावल विधानसभा सीट पर मिजोरम नेशनल फ्रंट (MNF) के लालचंदामा राल्ते ने मौजूदा कांग्रेस विधायक आरएल पियानमाविया को सिर्फ 3 वोटों से हराया। लालचंदामा राल्ते को 5,207 वोट मिले तो वहीं 5,204 वोट मिले। 1998 में जब BJP के सोम मरांडी ने बिहार की राजमहल लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। इस बार भी अंतर महज 9 वोटों का रहा।

जब खाते में आया ज़ीरो वोट

1 या 10 वोट से हारने-जीतने का सिलसिला तो जारी रहेगा, लेकन क्या आप को पता है एक समय ऐसा भी था जब 1957 में देश में कांग्रेस की लहर के दौरान, मैनपुरी, उत्तर प्रदेश में शंकर लाल ने स्वतंत्र चुनाव लड़ा इसमें सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात ये है कि शंकर लाल को ज़ीरो वोट पड़ा उपर से इन्होंने जो खुद को वोट दिया था वो भी रद्द हो गया।

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