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Delhi News: हलाल डेटिंग को अरब देश क्यूं दे रहा मंजूरी; जानें क्या इंडियन मुसलमानों पर भी होता है लागू?

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। हलाल शब्द का नाम जब हम सुनते हैं लोगों को मुस्लिम समुदाय के लोगों में खाए जाने वाले खान-पान की याद आ जाती है। लेकिन आज हम हलाल डेटिंग के बारे में आपको बताएंगे। डेटिंग वैसे तो पश्चिमी कांसेप्ट है लेकिन हलाल डेटिंग को मुस्लिम वर्ल्ड में अनुमिती दी गई है।

क्या है हलाल?

हलाल एक अरबी शब्द है। इस्लाम में इसका मलतब जायज़ या वैध होता है। हलाल सिर्फ खाने-पीने की चीज़ों को नहीं कहा जाता है। इसके अलावा भी इस्लाम में जिन चीज़ों की अनुमति होती है उसे हलाल कहते हैं। जैसे कि कपड़े अगर आप इस्लाम के नियमों के अनुसार पहने तो वह हलाल है। ऐसे ही इस्लाम में आने वाले कई नियमों को हलाल कहते हैं। वहीं इसके विपरीत कोई अगर इस्लाम के नियमों को तोड़े, उसकी अवहेलना करे उसे हराम कहते हैं। जैसे इस्लाम में शराब, सिगरेट वर्जित है इसे हराम कहा जाता है। ऐसे ही शादी-ब्याह के मामले में भी होता है। जो शादी बड़े-बुज़ुर्गों की देख-रेख में होती है जिसमें सभी लोगों की रज़ा मंदी होती है उस शादी को हलाल कहते हैं।

क्या है हलाल डेटिंग?

डेटिंग का मतलब वैसे तो शादी से पहले लड़का-लड़की के मिलने-जुलने एक-दूसरे को जानने समझने को कहते हैं। उसके बाद दोनों शादी करें या करें ये उनके उपर निर्भर करता है। डेटिंग करने से दो अजनबी एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझने लगते हैं उसके बाद शादी का निर्णय लेते हैं। लेकिन ये जरुरी नहीं है कि आप उसी से शादी करें। ऐसे में शादियां होती हैं और कई बार मतभेद होने से दोनों अलग हो जाते हैं और नए की तलाश में जुट जाते हैं। हलाल डेटिंग को कई मुस्लिम देशों में अनुमति दी गई है। इसके अनुसार, लड़का-लड़की एक-दूसरे से मिलकर बात कर सकते हैं। इसके अलावा घूमना-फिरना, फिल्म देखना, खाना-पीना और हाथ पकड़ सकते हैं। लेकिन एक-दूसरे को छू नहीं सकते। ऐसा करना इस्लाम में हराम माना जाता है।

अरब देशों में हलाल डेटिंग को मिली मंजुरी

डेटिंग को अभी भी सभी मुस्लिम देशों ने स्वीकृति नहीं दी है। भारत में भी हलाल डेटिंग की शुरुआत नहीं हुई है। लेकिन मिडिल ईस्ट, नॉर्थ अफ्रीका के देशों में हलाल डेटिंग को मंजूरी मिल गई है। यहां तक कि ईरान जैसे कट्टर देश में भी हलाल डेटिंग को हरी झंडी मिल गई है। जिम्बाब्वे के मुफ्ती मेन्क को ग्लोबल इस्लामिक स्कॉलर माना जाता है। वे नए जमाने के चलन को इस्लाम से जोड़ने के लिए सोशल मीडिया पर अक्सर मुहिम चलाए रखते हैं। उनका कहना है कि इस्लाम में वैसे तो शादी से पहले मेलजोल ठीक नहीं, लेकिन अगर दायरे में किया जाए तो ये हलाल हो सकता है। उन्होंने यूट्यूब से लेकर कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बताया कि हलाल डेटिंग क्या है और कैसे हो। लेकिन बहुत से स्कॉलर इसे गलत मानते हैं। वे मानते हैं कि इस मेलजोल से रिश्ते की गरिमा कम होती है।

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