Matthew Miller
Matthew Miller raftaar.in
दुनिया

भारत में CAA कानून लागू होते ही अमेरिका ने दी अपनी प्रतिक्रिया, मैथ्यू मिलर बोले- इस पर हमारी कड़ी नजर है

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) की अधिसूचना को लेकर अपनी चिंता जताई है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि वे CAA के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत किस तरह से इस अधिनियम को लागू करता है इसमें उनकी पूरी नजर है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के अनुसार समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं। मैथ्यू मिलर ने यह बयान गुरुवार को मीडिया में जारी किया है।

पूरे देश में CAA लागू

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में बसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित प्रताड़ना झेल चुके गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना है। यह कानून दिसंबर 2019 में संसद से पारित हो गया था। इसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई थी। विधेयक भारत में किसी भी अल्पसंख्यक के खिलाफ नहीं है और प्रत्येक भारतीय नागरिक के अधिकारों को समान रूप से संरक्षित किया जाएगा। CAA लागू होने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले केन्‍द्र सरकार का यह बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या है CAA?

CAA को दिसंबर 2019 में लोकसभा में कानून बन गया था। इसका उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करना है। विशेष रूप से यह इन देशों से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता की पात्रता प्रदान करने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करना चाहता है।

पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यकों को मिलेंगी भारतीय नागरिकता

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने इससे पहले नागरिकता कानून में 2019 में संशोधन किया था। इसे संसद से पारित हुए 5 साल बीत चुके हैं। सीएए को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। हालांकि अब तक देश में पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिलती रही है, लेकिन सीएए के लागू होने से अल्पसंख्यकों के पास कानूनी रूप से अधिकार मिल जाएगा। सीएए के तहत नागरिकता लेने के लिए अल्पसंख्यकों को बाकायदा आवेदन करना होगा। इसके बाद उन्हें ये भी साबित करना होगा कि वे धार्मिक उत्पीड़न या प्रताड़ना की वजह से पड़ोसी मुल्क से आए हैं। इसके लिए सरकार द्वारा एक पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है। पात्र पड़ोसी देशों से आने वाले विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा और गृह मंत्रालय इसकी जांच कर नागरिकता जारी कर देगा।

अन्य खबरों के लिए क्लिक करें:- www.raftaar.in