भारत में युवाओं की बेरोजगारी प्रतिशत।
भारत में युवाओं की बेरोजगारी प्रतिशत। रफ्तार।
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Unemployment: भारत के 83% युवाओं की बेरोजगारी पर बवाल, सरकार ने ILO की रिपोर्ट पर जताई आपत्ति

नई दिल्ली, रफ्तार। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा भारत में बेरोजगारी पर जारी रिपोर्ट के ऊपर भारत सरकार ने आपत्ति जताई है। सरकार का कहना है कि आईएलओ ने बेरोजगारी पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने में डेटा को सही से नहीं प्रस्तुत किया है। उसके आंकड़ों में काफी गड़बड़ियां हैं। प्रतिष्ठित वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने औपचारिक तरीके से रिपोर्ट पर आपत्ति जताई गई है। इसके लिए श्रम एवं रोजगार सचिव सुनीता ने आईएलओ के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाकर रिपोर्ट पर सरकार की नाराजगी से अवगत कराया। मार्च में जारी की गई रिपोर्ट के बाद सरकार आईएलओ के अफसरों के साथ दो बैठकें कर चुकी है।

रिपोर्ट में क्या हैं दावे?

आईएलओ ने मार्च में इंडिया एम्पलॉयमेंट रिपोर्ट 2024 जारी की थी। रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फोर ह्यूमन डेवलपमेंट के साथ मिलकर बनाई गई है। रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत में बेरोजगारों में 83 फीसदी हिस्सा युवा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 100 बेरोजगार लोगों में 83 युवा हैं। इस दावे से सरकार सहमत नहीं है।

बेरोजगारी पर सरकार के आंकड़े

सरकार के मुताबिक साल 2019 में युवाओं (15-29 की उम्र के लोगों) में बेरोजगारी दर 7 फीसदी थी। यह कम होकर साल 2022 में 5 फीसदी पर आ गई। वयस्कों (30-59 साल के लोगों) के मामले में बेरोजगारी दर साल 2019 में भी 1 फीसदी थी, जो साल 2022 में भी यह दर स्थिर रही।

ये लोग बेरोजगार नहीं : सरकार

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के मुताबिक भारत के युवाओं में 35 हिस्सा विद्यार्थी हैं। 22 फीसदी युवा घरेलू कामों में लगे हैं। सरकार की मानें तो उन युवाओं को बेरोजगार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। युवाओं का एक बड़ा हिस्सा आंशिक रोजगार में जुटा है, उन्हें भी बेरोजगार नहीं कह सकते हैं।

आईएलओ ने कई फैक्टर पर नहीं किया गौर

सरकार का पक्ष है कि आईएलओ की रिपोर्ट बनाते हुए इस तरह के कई फैक्टर पर गौर नहीं फरमाया गया। उदाहरण के तौर पर रिपोर्ट में इंटरनेशनल मोबिलिटी यानी अन्य देशों में काम करने जा रहे लोगों और गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यानी साल के कुछ महीने औपचारिक रोजगार करने वाले लोगों के डेटा को भी रिपोर्ट में नहीं जोड़ा है। इस तरह आईएलओ की रिपोर्ट में आंकड़ों को लेकर गंभीर गड़बड़ियां हैं।

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