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Somwar Mantra: भगवान भोलेनाथ के नीलकंठ रूप की करें पूजा और इन मंत्रो का जाप, दूर होंगे सभी ग्रह दोष

नई दिल्ली रफ्तार डेस्क।18 March 2024। भगवान भोलेनाथ के कई स्वरूपों में से नीलकंठ भी एक स्वरूप है। नीलकंठ भगवान की पूजा करने से न केवल भगवान की कृपा आप पर बनी रहती है। बल्कि आपके जीवन और आपकी कुंडली में होने वाले सभी दोषों का अंत भी हो जाता है।

नीलकंठ भगवान की पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यताए हैं, कि समुद्र मंथन के समय जब विष निकला था तो भगवान शिव ने उस विश को धारण किया और उनका कंठ नीला हो गया था। तब से ही उनका एक और स्वरूप नीलकंठ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सोमवार के दिन भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप का विधि पूर्वक पूजा उपासना करने से कुंडली के सभी ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं। साथ ही जीवन खुशहालियों से भर जाता है। घर-परिवार में सुख शांति बनी रहती है। भगवान शिव के 'ऊँ नमो नीलकंठाय'। मंत्र का जाप करने और शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करने से ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं।

पूजा विधि

भगवान नीलकंठ की पूजा करने के लिए आपको प्रातः काल उठना चाहिए। स्नान करके भगवान भोलेनाथ के मंदिर में जाना चाहिए। वहां आप भगवान से व्रत करने का संकल्प लें। उसके बाद शिवलिंग को जल दूध अर्पित करें और चंदन का लेप लगाए। भगवान भोलेनाथ को चंदन बहुत प्रिय है। इसके साथ ही भगवान को खोवे का लड्डू चढ़ाएं और कपूर जलाकर उनकी आरती करें।

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ नमः शिवाय॥

ॐ नमो भगवते रूद्राय ।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय

धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्'

लघु महामृत्युंजय मंत्र ॐ हौं जूं सः

ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

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