नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क | एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं के गर्भाशय से संबंधित समस्या है। ये 15 से 49 आयु की महिलाओं में देखी जा रही है। जानकारी के अनुसार भारत में लगभग 4.3 करोड़ महिलाएं इससे जूझ रही हैं। ये समस्या फर्टाइल एज में महिलाओं और लड़कियों को होती है।
पीरियड्स के समय शरीर में हार्मोन के स्तर में काफी बदलाव होता है। जिसके चलते एंडोमेट्रियल टिश्यूज बढ़ जाता है। ये टिश्यूज जब टूटने लगते हैं तो ब्लीडिंग होती है। महावारी के दौरान पारियड्स वाला रक्त शरीर से बाहर होने लगता है। लेकिन एंडोमेट्रियल टिश्यूज़ में खून जमा होता रहता है। समय के साथ ये टिश्यूज़ बढ़ने लगते हैं। इसकी वजह से महिलाओं के पेल्विक एरिया में दर्द और तकलीफ होती है।
-पेट और कमर में दर्द होना
-पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द
-पीरियड क्रैम्प्स
-पेल्विक एरिया का दर्द करना
-पीठ में दर्द
-ऐसे करें बचाव
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या को लेकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसमें इलाज के दौरान लापरवाही से कई दिक्कत बढ़ सकती है। पीरियड्स के दौरान होने वाली दिक्कत को गंभीरता से लेना चाहिए। वहीं ज्यादा परेशानी होने पर डाॅक्टर से सलाह लें। महावारी से जुड़ी हुई दिक्कत जैसी हैवी प्लो, अनियमित पीरियड्स, उल्टी और तेज दर्द जैसी दिक्कतों पर ध्यान देना जरुरी है। डाक्टर की मदद से इन वजह का पता लगाना चाहिए।
भारत में महिलाओ में होनेवाली एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी को लेकर जागरुक होना जरुरी है। इसे अन्य क्रोनिक बीमारियों की तरह ही गंभीर समझना चाहिए। जानकारी के अनुसार अगर इसके लक्षणों पर ध्यान देते हैं और समय पर इसका इलाज शुरू किया जाए तो इससे जल्द ही निजात मिल जाएगा।
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