नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क| हम सभी खुश रहन पसंद करते हैं। कोई कभी नहीं चाहता है कि वो दुखी हो। जीवन की समस्याओं की वजह से हम अकसर दुखी रहते हैं। घर और आफिस की जिम्मेदारी की वजह से हमको तनाव होता है। इसकी वजह से हम खुलकर हंस भी नहीं पाते।
खुशी का पर ध्यान देने से मानसिक तनाव कम होगा। वहीं खुश रहने से हमारा दिल और दिलाग भी बेहतर रहता है। खुशी का महत्व समझना जरूरी है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खुशी का खास महत्व रहता है। जब आप खुश होते हैं तो एंटी स्ट्रेस हार्मोन जारी होता है। इससे रात में बेहतर नींद आती है। यदि सोने के पहले कोई हिंसक टाइप मूवी देखते हैं तो इससे आपका सेरोटोनिन हार्मोन कम होने लगता है। इससे दिमाग में बेचैनी बढ़ती है।
खुद को खुश रखना है तो हमेशा आप हल्का फुलकी बातचीत कर सकते हैं। कभी भी कोई राग या द्वेष वाली बात नहीं करनी चाहिए। इससे मन में दुख बढ़ने लगता है। मन में बोझ बढ़ाने वाली कहानी नहीं पढ़नी चाहिए। इसके अलावा आप खुश रहने वाली या फिर हंसाने वाले प्रोग्राम देख सकते हैं।
मन के अनुसार भोजन हमारे ब्रेन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। लेकिन बहुत अधिक तले-भुने भोजन से पाचन तंत्र हमेशा प्रभावित रहता है। इसके चलते हम खुश नहीं रह पाते हैं। पेट और मस्तिष्क के बीच ठीक कम्युनिकेशन रहना अहम है। इसके लिए आप मनपसंद खाना खा सकते हैं।
जब आप सोती हैं, तो शरीर का तापमान कम होता है। कम तापमान से बेहतर नींद आती है। सोने से पहले ख़ास तौर पर एलईडी बल्ब, घड़ियां, डिजिटल उपकरण को बंद करना न भूलें। उन्हें खुद से दूर कर सकते हैं। ताकि उनसे निकलने वाली रोशनी सोने से न रोक सके।
ध्यान से निश्चित रूप से आपका मन हमेशा शांत होगा और खुशी बढ़ने लगती है। ध्यान मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को सक्रिय करने में मदद करता है। ये हमारे दिमाग की बेहतर भावना वाला हिस्सा है। ये अशांत मन को शांत करने में मदद करता है। ध्यान अभ्यास से फोकस में सुधार करने में मदद मिलती है।
मानसिक स्वास्थ्य और वेलबीइंग पर पालतू पशुओं के प्रभाव पर स्टडी हुई। इसके निष्कर्ष में बताया गया कि पेट्स के साथ रह रहे लोगों की मेंटल हेल्थ बेहतर होती है। वहीं उनके साथ नहीं रहने वाले की मेंटल हेल्थ कम प्रभावी होती है । आपने जो पेट्स पाला है उनको सहलाना जरूरी है। उनको वाॅक पर लेकर जाएं। इससे आपको भी खुशी महसूस होगी।
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