
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवाचौथ का त्योहार देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ का त्यौहार एक नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। और माता पार्वती की पूजा भी करती है। कुछ जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। क्योंकि रात्रि के समय चंद्रोदय के मध्य व्रत खोला जाता है। और इस दिन चलने से चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं। लेकिन छलनी से ही चंद्रमा को देखने के पीछे पीछे एक पौराणिक कथा है। इस कथा को हर सुहागिन महिलाओं के लिए जानना जरूरी है।
दरअसल इसके पीछे पौराणिक कथा है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार गणेश भगवान मूस की सवारी कर रहे थे कि अचानक वह मूस से नीचे गिर पड़े। गणेश भगवान को चोट तो लगी लेकिन कहीं कोई उन्हें देख ना ले इसलिए वह झट से उठ पड़े और अपने चारों ओर उन्होंने देखा कि किसी ने उन्हें गिरते हुए तो नहीं देखा । उन्हें चारों ओर कोई दिखाई नहीं दिया लेकिन तभी उन्हें किसी के जोर-जोर से हंसने की आवाज सुनाई दी वह आवाज थी चंद्रमा की , भगवान गणेश का मजाक उड़ाने लगे। इस पर विघ्नहर्ता गणेश अत्यधिक गुस्सा हो गए और कहा कि मूर्ख तू किसी के चोट पर हंसता है । तुझे खुद पर बड़ा अभिमान है, तू जा मैं तुझे श्राप देता हूं आज के बाद तू घटता बढ़ता रहेगा और जो कोई तुझे देखेगा ना उसे कलंक लगेगा, तेरा अब तिरस्कार होगा ।
गणेश की यह बात सुनकर चंद्रमा अपनी गलती का एहसास हो गया। फिर सुबह चंद्रमा ने तुरंत माफी मांगी लेकिन गणेश भगवान तो अपनी बात कह चुके थे। ऐसे में चंद्रमा नारद मुनि के पास पहुंचे और अपनी बातें कर सुनाएं । इस पर नारद मुनि ने चंद्रमा को गणेश की उपासना करने को कहा, इसके बाद चंद्रमा ने ठीक वैसे ही किया। जिससे गणेश भगवान प्रसन्न हुए और उनके सामने प्रकट हुए। चंद्रमा ने फिर अपने किए की माफी मांगी और कहा गणेश भगवान मुझे अपने श्राप से मुक्त कर दो। इस पर गणेश भगवान ने कहा मैं तो अब अपने शब्द तो वापस नहीं ले सकता हूं लेकिन तुमको एक वचन देता हूं। अब तुम महीने में एक दिन पूरे आकार में होगे और अति सुंदर देखोगे । उस दिन पूर्णिमा होगी । उस दिन तुम पूजा जाओगे लेकिन जो कोई भी तुम्हारी छलनी से पूजा करेगा । तुम्हारी परछाई देखेगा उसे कलंक नहीं लगेगा। बल्कि उसके यश में वृद्धि होगी । ऐसा कहकर गणेश से भगवान अंतर ध्यान हो गए। तब से चंद्रमा को पूजा जाने लगा। जिसके बाद करवाचौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पहले चंद्रमा को छलनी से देखती है फिर अपने पति को देखकर व्रत रखने की परंपरा को निभाती है।
एक ऐसी मान्यता यह भी है कि चंद्रमा को ब्रह्मा जी का रूप माना जाता है। चंद्रमा सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी माना गया है। जो कोई भी चंद्रमा की पूजा आराधना करता है उसकी उम्र में दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है। यही वजह है कि करवा चौथ में महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।