
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: कैंसर एक ऐसी बीमारी है। जिसमें अगर शुरुआत में इसका पता लगा लिया जाए तो इससे पूरी तरह से बचा जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से कैंसर अपने चरम स्टेज पर पहुंच जाता है। तो मरीज की मौत तय मानी जाती है। कई बार लोग जांच को लेकर जागरूकता के बेहद अभाव में रहते हैं। अधिकांश महिलाएं समय पर कैंसर की जांच नहीं करवाती। जिसके कारण उन्हें मौत के मुंह तक जाना पड़ता है। WHO कि एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेस्ट और सर्वाइकल महिलाओं में होने वाले चार टॉप कैंसर में से है। जिनके कारण सबसे ज्यादा महिलाओं की मौतें होती है। सितंबर का महीना गाईनेकोलॉजिक कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में जाना जाता है। मतलब यह है कि यदि समाज और महिलाओं में जागरूकता हो तो प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित कैंसर से आसानी से बचा जा सकता है। इसके लिए महिलाओं को समय पर कुछ टेस्ट जरूर करवाने पड़ते हैं। जिससे कैंसर का पता लगाया जा सकता।
पेप स्मीयर
प्रजनन स्वास्थ्य को हमेशा बेहतर बनाने के लिए हर महिला को रूटीन रूप में पेप स्मीयर टेस्ट करना चाहिए। यह टेस्ट 21 साल से 65 साल की उम्र के बीच हर महिला को तीन साल में एक बार जरूर जरूर कराना चाहिए। इससे प्रजनन अंगों में कैंसर होने का पहले पता पहले ही चल जाता है।
एचपीवी टेस्ट
ह्यूमन पेपोलोमावायरस सर्विक्स कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है। इस वायरस के हमले से प्रजनन अंगों के सेल में परिवर्तन होने लगता है 25 साल उम्र की बाद ही यह टेस्ट होता है। आमतौर पर पेप स्मीयर के साथ ही एचपीवी टेस्ट भी किया जाता है। इससे सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है। और समय रहते बचाव किया जा सकता है।
कोल्पोस्कोपी
अगर पेप स्मीयर में किसी तरह की दिक्कत आती है तो डॉक्टर फिर कोल्पोस्कोपी करने की सलाह देते हैं। इसमें सर्विक्स के अंदर की चीजों को बहुत सूक्ष्म तरीके के साथ देखा जाता है। जिससे कैंसर लाइजन की पहचान की जाती है।
ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड
ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड से महिलाओं के शरीर के कई हिस्सों में कैंसर के कारण होने का पता लगाया जाता है। इससे पलविक ओवरी और यूट्रस में होने वाले जोखिम के कैंसर की भी पहचान होती है।
बीआरसीए जेनेटिक टेस्टिंग
इसमें BARCA 1 और BARCA 2 के जीन की पहचान की जाती है। यह दोनों ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर के जिम्मेदार होते हैं। अगर ब्रेस्ट में किसी प्रकार की गांठ होती है या फिर ब्रेस्ट के निप्पल से अचानक मवाद निकलता है तो ये जांच की जाती है।
सीए - 125 ब्लड
आपको बता दें कि सीए 125 ब्लड टेस्ट है। जिसे 30 साल के बाद किया जाता है। इसमें सीए 125 प्रोटीन का पता लगाया जाता है। अगर यह खून में बढ़ जाए तो इससे कैंसर होने का खतरा और रहता है।
एंडोमेट्रियल टिशु टेस्ट
इसमें एंडोमेट्रियल सेल्स में किसी तरह की खराबी के बारे में पता लगाया जाता है। इसके जरिए यूरिन को लेकर लैब में भेजा जाता है। और यूट्रस के इंफेक्शन और कैंसर का पता लगाया जाता है।