नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: महिलाओं के शरीर का सबसे चमत्कारी फैक्ट तो यही होता है कि वह एक बच्चे को जन्म दे सकती है। यकीनन एक नई जिंदगी को इस दुनिया में लाना आसान नहीं होता। इस दौरान एक महिला का शरीर ना जाने कितनी मुश्किलों से गुजरता है। तब जाकर कहीं ऐसा होता है। महिलाओं के शरीर को लेकर बहुत सारी बातें हम नहीं जानते, जैसे महिलाओं में पीरियड कैसे होता है। किस तरह से महिलाओं के शरीर में क्रैंप्स होते हैं किस तरह बायोलॉजिकल उनका शरीर पुरुषों के मुकाबले अलग होता है यह सारी बातें तो अधिकतर देखने और सुनने को मिल जाती हैं। पर अगर आपसे पूछा जाए महिलाओं के शरीर के कुछ अनोखे फैक्ट के बारे में बताएं तो शायद आप नहीं जानते होंगे। तो आज हम इस आर्टिकल में महिलाओं से जुड़े कुछ खास फैक्ट के बारे में बताएंगे।
आप यह जानकर हैरत में पड़ जायेंगे कि जो महिलाएं लिपिस्टिक का इस्तेमाल करती है। वह अपने जीवन में लगभग 1.8 किलोग्राम तक लिपिस्टिक खा जाती है। खा लेने से हमारा मतलब सीधे दांतों से चाबा लेना नहीं बल्कि यह स्किन के अब्जॉर्ब करने का तरीका है लिपस्टिक लगाने के कुछ घंटे बाद उसके हल्के हो जाने का यह कारण भी होता है। जब महिलाएं बातें करती हैं। तो धीरे धीरे लिपिस्टिक का कुछ अंश लार के जरिए पेट में चला जाता है। दूसरे नजरिए से देखें तो भले ही महिला ने कुछ भी खाया पिया ना हो लेकिन हमारी स्किन लिपिस्टिक को अब्जार्व कर लेती है।
सामान्य महिलाओं के यूट्रस का साइज शुरुआती दौर में एक नींबू के आकार का होता है। लेकिन प्रेगनेंसी के 9 महीने के दौरान यह एक तरबूज के बराबर हो जाता है। जी हां इतना बड़ा अंतर बहुत भारी साबित होता है। और महिलाओं को उसी दौरान कई दर्द से गुजरना पड़ता है। इस दौरान उनका ब्लैडर पर से कंट्रोल भी कम हो जाता है। जिसकी वजह से कई बार यूरिन बिना कंट्रोल के पास हो जाती है।
एक औसत धारणा यह है कि महिलाओ का जीवन पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होता है। और ऐसा इसलिए है। क्योंकि महिलाओं के हारमोंस किसी भी तरह के इंफेक्शन से लड़ने में ज्यादा मददगार साबित होते हैं महिलाओं के शरीर का हारमोंस ऑस्ट्रेगेन इस काम में मदद करता है। वैसे जब महिलाओं को बच्चा पैदा करने होते हैं। तो उन्हे इस दौरान इन्ही हारमोंस की प्रक्रिया से होकर गुजरता है। यही वजह है कि महिलाओं का इम्यून सिस्टम बहुत मजबूत हो जाता है।
महिलाओं का शरीर पुरुषों के मुकाबले ज्यादा फ्लैक्सिबल होता है। सबसे पहले तो महिलाओं की रीढ़ की हड्डी ज्यादा बेहतर काम करती है। यह बहुत लचीली होती है। क्योंकि चाइल्ड बर्थ के दौरान ये फ्लैक्सिबिलिटी नजर आती है। दूसरा यह की महिलाओं के शरीर में इलास्टीन ज्यादा होता है। यह कोशिकाओं को जोड़ने वाला प्रोटीन होता है। जो शरीर की फ्लैक्सिबिलिटी को बढ़ाता है।
अगर पुरुष और महिलाओं का एवरेज देखा जाए तो महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम पसीना आता है। यहां भी वाटर टिशु ही जिम्मेदार होते हैं। दरअसल एक एडल्ट पुरुष के शरीर में 65% पानी आता है। और महिलाओं के केस में 55% ही पसीना आता है। खून के रेगुलेशन से लेकर यूरिन फीटस के बने स्पाइनल कॉर्ड के से लेकर सलाइवा के बनने तक यही जिम्मेदार होता है। कम वाटर टिशु होने के कारण उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम पसीना आता है।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सेक्स को लेकर उत्तेजना ज्यादा होती है। महिलाएं फोरप्ले के दौरान कुछ ही मिनट में बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं।क्योंकि महिलाओं में सेक्स हार्मोंस ज्यादा होते है। यही हार्मोंस सेक्स पावर की उत्तेजना को बढ़ाते है। यह उत्तेजना पुरुष की तुलना में 8 गुना अधिक होती है।