
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: अहोई अष्टमी व्रत आमतौर पर संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है लेकिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए गर्भावस्था में भी यह व्रत रख सकती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए अहोई अष्टमी के व्रत के नियम अलग होते हैं क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का खास ध्यान रखना पड़ता है। ताकि बच्चे पर बुरा असर ना पड़े। वैसे हेल्दी डाइट के साथ भी अधिक देर तक खाली पेट रहने के लिए भी मना किया जाता है। यही वजह है कि अहोई अष्टमी व्रत गर्भवती महिलाओं को सेहत के लिए ठीक नहीं होता। फिर भी अगर आप व्रत रखना चाहती है तो वह इन बातों को जरूर जान लें।
ज्यादातर डॉक्टर प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह के व्रत को ना रखने की सलाह देते हैं। जिन महिलाओं को 3 महीने से काम का गर्भ है। उन्हें तो व्रत रखने के विचार भी मन में नहीं लाना चाहिए। क्योंकि शुरुआती महीने में महिला को उल्टी, घबराहट ,जी मिचलाना ,सिर दर्द जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्रत रखने से समस्या और बढ़ सकती है।
गर्भवती महिलाओं को कभी भी निर्जला व्रत का पालन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपको और आपके शिशु को समस्या हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को अगर अहोई अष्टमी के व्रत के दौरान उल्टी जैसी परेशानी होती है तो तुरंत व्रत को त्याग दे और चिकित्सक से संपर्क करें। अहोई अष्टमी व्रत में थोड़े गर्म कपड़े जरूर पहनें क्योंकि इस दौरान पड़ने वाली गुलाबी ठंड आपको और आपके शिशु को हानि पहुंचा सकती है। गर्भवती महिलाएं व्रत के दौरान लगातार पानी का सेवन करती रहें। इससे आपको और आपके गर्भ में पल पड़ रहे बच्चे को कोई दिक्कत नहीं होगी और आपको चक्कर भी नहीं आएगा।
अहोई अष्टमी व्रत के दौरान बिल्कुल भी भाग दौड़ नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा कोई काम झुककर ना करें। व्रत के दौरान आप सीढ़ियों से उतरना चढ़ना बंद कर दें और एक जग पर अधिक देर तक बैठी ना रहे । इससे आपकी सेहत खराब हो सकती है। व्रत के दौरान काफी और चाय के सेवन से बचें और नियमित रूप से फलाहार और जूस का सेवन करें। ऐसा करने से आपके शिशु को भरपूर ऊर्जा प्राप्त होगी।