
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। पान के पत्ते यूरिक एसिड लेवल को कम करने में कारगर माने जाते हैं। एक शोध के अनुसार, कुछ चूहों को पान के पत्ते का अर्क दिया गया और यूरिक एसिड घट गया। पान के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिकों का खजाना पाया जाता हैं, जो जोड़ों में होने वाली परेशानी और दर्द को काफी हद तक कम कर सकते हैं। जो कई पुरानी बीमारियों जैसे रुमेटीइड अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस आदि के लक्षण हैं। यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए मरीजों को बस रोजाना पान के पत्ते चबाने की सलाह दी जाती हैं। इससे आपका यूरिक एसिड लेवल कम हो सकता हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि इस दौरान किसी भी तरह के तंबाकू का सेवन न करें।
पान के पत्तों में कई एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो प्रभावी रूप से मुंह में रहने वाले कई बैक्टीरिया से लड़ते हैं। भोजन के बाद थोड़ी मात्रा में पान के पत्तों का पेस्ट चबाने से न केवल पेट हेल्दी रहता हैं, बल्कि सांसों की दुर्गंध, मुंह की दुर्गंध से भी लड़ता हैं, साथ ही दांत दर्द, मसूड़ों में दर्द, सूजन और ओरल इंफेक्शन से भी राहत मिलती हैं।
माना जाता हैं पान का पत्ता पेट फूलने को रोकने वाले होते हैं जो आंत की रक्षा करने में मदद करते हैं। पान के पत्ते मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता हैं और आंतों को विटामिन और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद मिलती हैं।
कई अध्ययनों से पता चला हैं कि पान के पत्ते के पाउडर में टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की क्षमता होती हैं। पान का पत्ता एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट हैं जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से निपटने और अनकंट्रोल ब्लड ग्लूकोज के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता हैं।