नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क| भारतीय रेलवे अपने यात्रियों की सुविधाओं का खास ध्यान रखता है। खासकर महिला यात्रियों के लिए रेलवे के नियम ज्यादा लचीले हैं। इसका मकसद सफर के दौरान महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराना है।
अगर किसी महिला को रात के वक्त सफर करना पड़े और वो टिकट न ले पाए, तो भी टीटीई उन्हें ट्रेन से उतार नहीं सकते हैं। ट्रेन से उतारने पर महिलाएं इसकी शिकायत कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में टीटीई महिला पर फाइन लगा सकते हैं और अगर ट्रेन में सीट उपलब्ध है तो किराया लेकर महिला को सीट भी अलॉट कर सकते हैं।
स्लीपर क्लास के हर हर कोच में लोअर बर्थ का कोटा मौजूद रहता है। इस दौरान आपको 3 टियर में हर कोच में चार से पांच तक निचली बर्थ, वहीं 2 एसी में आपको चार निचली बर्थ का कोटा मिल जाएगा। ये वो कोटा होता है जो गर्भवती महिलाओं, सीनियर सिटीजनों और 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं या उससे अधिक आयु वाली महिला यात्रियों के लिए होता है।
रेलवे का यह सिस्टम क्योंकि ऑटोमेटेड होता है ऐसे में इसमें वरिष्ठ नागरिकों, 45 वर्ष की महिला यात्रियों को निचली बर्थ देने का सरकारी प्रावधान डिफॉल्ट माना जाता है। भले की कोई विकल्प न मौजूद है तब भी ये नियम हमेशा लागू रहता है। बाकी आपकी सीट की उपलब्धता पर भी खास निर्भर करता है।
मेल या फिर एक्सप्रेस ट्रेनों के कोच में महिला यात्रियों को अनारक्षित श्रेणी में अकमोडेशन मिल जाता है। इसके अलावा उगनगरीय रेलों में आपको सेपरेट कोच की सुविधा मिलती है। उपनगरीय ट्रेन यात्रियों के लिए 150 किमी तक की छोटी दूरी तय की जाती है।
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