दिल्ली का सबसे प्राचीन किला "पुराना किला" (Old Fort), दिल्ली के समृद्ध इतिहास की मिसाल रहा है। तकरीबन दो किलोमीटर की परिधि में फैले इस आयताकार किले में प्रवेश के लिए तीन दरवाज़ें हैं- बड़ा दरवाज़ा जो आज प्रवेश के लिए इस्तेमाल किया जाता है, हुमायूँ दरवाज़ा और तलाकी दरवाजा। सभी दरवाजों के दोनों ओर बुर्ज और छतरियां हैं।
किले में प्रवेश करते ही इसके दोनों ओर बने सुंदर हरे घास के मैदान देखें जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ शेर मंडल है जो हुमायूँ का पुस्तकालय था और शेर शाह सूरी की मस्जिद भी किले परिसर में है।
पुराने किले का निर्माण मुगल सम्राट हुमायूं ने शुरू करवाया था। उन्होंने इस किले के दरवाज़े और दीवारें बनवाने का काम किया था। शेर शाह सूरी द्वारा हुमायूँ पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् उसने किले का मरम्मत कार्य करवाया था लेकिन उसकी मृत्यु के बाद दिल्ली शासन की बाग़डोर पुनः हुमायूँ को मिली और उसने किले में अन्य निर्माण करवाए।
पुराना किला (Purana Qila) में स्थित अष्टकोणीय दो मंज़िला शेर मंडल, हुमायूँ का पुस्तकालय था। यहाँ से हुमायूँ रात के समय तारों को निहारा करते थे, इसके अलावा इस स्मारक से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि यहीं से गिरकर चोट लगने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हुई थी। पर्यटकों का स्मारक के अंदर जाना माना है।
विदेशी यात्रियों के लिए यहाँ प्रवेश शुल्क 100 रूपए और भारतीय पर्यटक के लिए 5 रूपए है।
पुराना किला हफ्ते के सातों दिन खुला रहता है।
यहाँ आप झील में बोटिंग का आनंद ले सकते हैं।
किले में साउंड और लाइट शो आयोजित किया जाता है।