नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क: मथुरा भारत के सबसे महत्वपूर्ण और खूबसूरत शहरों में से एक है। जो देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में स्थित है। मंदिरों की नगरी के नाम से जाना जाने वाला मथुरा भारत का एक धार्मिक तीर्थ स्थल है। मथुरा को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है। मथुरा के समृद्ध इतिहास को आप वास्तुकला और कला की विशाल शृंखला के माध्यम से देख सकते हैं। अगर आप इस शहर की खूबसूरती को देखना चाहते हैं। तो यहां त्यौहार के दौरान घूमने यहां जरूर आएं। क्योंकि यहां एक से एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली जगहें घूमने को मिल जाएगी। यहां आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। धार्मिक स्थलों के अलावा यहां घूमने के लिए आप कई जगह जा सकते हैं।
कृष्ण जन्मभूमि आपको नाम से ही समझ आ गया होगा कि इस जगह पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म जेल की एक कोठरी में हुआ था। जहां पर उनके माता-पिता को कंस द्वारा कैद किया गया था। इसी कारण भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान मंदिर की कोठरी के चारों ओर बनाया गया था ।और हिंदुत्व समाज के लिए यह मंदिर बहुत ही महत्व रखता है।
अगर आप मथुरा घूमने गए हैं तो आप भगवान श्री कृष्ण के मामा का किला यानी कंस का किला भी देख सकते हैं। कंस का किला मथुरा का एक बेहतरीन और प्राचीन और पुराना किला है। यह किला महाभारत के समय का है। जो कि अभी भी मथुरा में मौजूद है। और इस किले को देखने के लिए बड़े-बड़े लोग दूर-दूर से आते हैं। यह किला यमुना नदी के तट पर स्थित है। इस किले को हिंदू मुस्लिम वास्तुकला का मिश्रण के रूप में बनाया गया है। इस किले का निर्माण अकबर के नवरत्नों में से एक राजा मानसिंह ने करवाया था। इस किले की कारीगरी और नक्काशी देखते ही बनती है।
अगर आप श्री कृष्ण के भक्त है और मथुरा घूमने आए हैं। तो अगर आप द्वारकाधीश मंदिर घूमने नहीं गए तो फिर आपका मथुरा आना बेकार है। द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण को कहा जाता है। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण द्वारिका नगरी के राजा हुआ करते थे। इसी कारण उन्हें उनकी भूमि पर द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण किया गया। जिसके अंदर भगवान श्री कृष्ण को द्वारिका के राजा के रूप में सजाया गया है। सबसे जरूरी बात यह है कि भगवान श्री कृष्ण को बिना मोर पंख और बांसुरी के साथ दिखाया गया है। इस मंदिर का निर्माण कम से कम 150 साल पहले भगवान श्री कृष्ण के एक भक्त ने करवाया था।
गोवर्धन पर्वत और राधा कुंड के बीच में मौजूद कुसुम सरोवर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से एक है। यह सरोवर बहुत ही ज्यादा शांत और साफ है। इस सरोवर के आसपास कई सारे मंदिर भी मौजूद है। जो की मथुरा यात्रा के समय देखा जाता है। सरोवर में एक बहुत ही सुंदर जलाशय भी मौजूद है। जिसका निर्माण राजसी बलुआ पत्थर से किया गया है। इस जलाशय में सीढ़ियों का भी निर्माण किया गया है। जिसका इस्तेमाल पर्यटकों के जलाशयों में उतरने के लिए किया जाता है।जिससे वो इस जलाशय में पर्यटक डुबकी लगाकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गोवर्धन पर्वत वृंदावन के पास स्थित है। जो की मथुरा से 22 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। इस पर्वत को बेहद ही पवित्र माना जाता है। कई सारे हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथो में इस पर्वत के बारे में उल्लेख किया गया है। प्राचीन काल के समय में जब मथुरा पर संकट आया था। और द्वारिका वासी राक्षसों के प्रकोप से परेशान थे। तब भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को एक उंगली से उठाने की लीला रची गई थी। जिसके बाद गांव वासी बच गए थे। दिवाली के ठीक दूसरे दिन गोवर्धन का पर्व मनाया जाता है।
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