नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क | लक्षद्वीप इन दिनों चर्चा में है। वजह है पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरें और उस पर मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणी। सोशल मीडिया पर मालदीव्स को बायकॉट करने और लक्षद्वीप को प्रमोट करने से जुड़े हैशटैग्स चल रहे हैं। तो अगर आप लक्षद्वीप जाने का प्लान कर रहे हैं तो एंट्री परमिट बनवाना न भूलें।
क्या है एंट्री परमिट?
जैसे आप मूवी देखने जाते हैं तो आपको टिकट दिखाना पड़ता है। वैसे ही लक्षद्वीप में एंट्री करने के लिए परमिट लगता है। इस तरह का परमिट नॉर्थ ईस्ट के कुछ राज्यों में घूमने के लिए भी लगता है। इसका मकसद स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के साथ-साथ बाहर के आने वाले टूरिस्ट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। लक्षद्वीप के स्थानीय नागरिकों के अलावा सभी लोगों को वहां जाने के लिए परमिट की ज़रूरत होती है, चाहे वो भारतीय नागरिक हों या विदेशी।
-आईडी प्रूफ यानी आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड आदि।
-ट्रैवल प्रूफ के लिए फ्लाइट टिकट या बोट बुकिंग टिकट।
-होटल बुकिंग कंफर्मेशन।
-पासपोर्ट साइज में फोटो।
-पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट।
अप्लाई करने से पहले आपको सबसे पहले स्थानीय पुलिस थाने में जाकर क्लियरेंस सर्टिफिकेट लेना होगा। लक्षद्वीप के एंट्री परमिट के लिए आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के लिए आपको epermit पोर्टल https://epermit.utl.gov.in/ पर जाना होगा। यहां पर अकाउंट क्रिएट करना होगा। इसका बाद एक आवेदन फॉर्म भरना होगा। आपसे डॉक्यूमेंट्स मांगे जाएंगे, उनकी कॉपी सबमिट करनी होगी। आपके एप्लिकेशन में दी गई सारी जानकारी सही पाए जाने के बाद ही 10-15 दिन में आपको परमिट जारी किया जाएगा।
एंट्री परमिट के लिए प्रति व्यक्ति 50 रुपये की फीस लगती है। ये एक नॉमिनल फीस है। इसके अलावा लक्षद्वीप में घूमना तुलनात्मक रूप से सस्ता है। हालांकि, अगर लक्षद्वीप टूरिज्म को बढ़ावा देना है तो एंट्री परमिट लेने की प्रक्रिया को आसान बनाना होगा। इसके साथ ही परमिट ईशू करने में लगने वाले टाइम को भी कम करना होगा, ताकि शॉर्ट नोटिस पर ट्रैवल करने वाले लोगों को इससे मदद मिले।
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