Khajuraho Temple: खजुराहो मंदिर में क्यों है नग्न मुर्तियों का भंडार? खजुराहो मंदिर बनाने के पीछे कहानी

खजुराहो में मंदिरो का एक बड़ा समूह है जो कि हिंदु और जैन धर्म से जुड़े हुए हैं जो कि बहुत प्रसिद्ध है और उन्हें देखने बहुत से पर्यटक जाते हैं
Khajuraho Temple
Khajuraho TempleSocial Media
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। भारत में अनेक हैरतंगेज गांव, शहर और जगह मौजूद है, लेकिन पर्यटकों की आंखे खजुराहो पर आकर रुक जाती है। यहां बने चित्र और मूर्तियां सभी को झकझोर देने वाली है। खजुराहो मंदिरों का शहर कहलाता है, यहां पर हिन्दू और जैन मंदिर बहुत अधिक है। लेकिन इसकी सबसे विशेष बात यह है कि यहां पर कामुक मूर्तियों का संग्राहलय बनाया गया है।

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माना जाता है कि खजुराहो के मंदिरों का निर्माण वहां के चंदेला वंश के राजाओं ने करवाया था। कहा जाता है यह वंश भगवान चन्द्र के बेटे ने शुरू किया था। उनका राज खजुराहो ही नहीं उत्तरप्रदेश के मोहबा तक फैला हुआ था। वह जहाँ राज करते थे, उस जगह को बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है।

चंदेलवंश के राजाओं ने इन मंदिरों का निर्माण 9वीं शताब्दी में करवाया था, जिसका जिक्र हमें अबू रिहान अली बरुनी और इब्न बतूता की लिखी पुस्तकों में मिलता है। उनके अनुसार यहाँ के चंदेल राजाओं ने 84 ऐसे मंदिर बनाये थे, लेकिन आज तक खोज 22 मंदिरों की ही हुई है।

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खजुराहो मंदिर बनाने के पीछे कहानी

इन मंदिरों के निर्माण के पीछे की एक कथा बहुत प्रचलित है। कहते है कि एक ब्राह्मण की पुत्री हेमवती जब यहाँ नदी से पानी लेने के लिए आई तो चन्द्रदेव प्रकट हुए और हेमवती पर मोहित हो गये। दोनों के बीच प्रेम-प्रसंग चला और हेमवती ने एक पुत्र को जन्म दिया। इस पुत्र का नाम चन्द्रवर्मन रखा गया।

हेमवती का सपना था कि उसका बेटा राजा बने तो चन्द्रदेव की कृपा से उनका बेटा यहाँ का राजा बना और चंदेला वंश शुरू हुआ। हेमवती चाहती थी कि मनुष्य की सभी मुद्रा यहाँ उल्लेखित हो, इसलिए उसने अपने बेटे को जो राजा था, उसे इस तरह के मंदिर बनाने के लिए उकसाया। हेमवती की बदौलत आज खजुराहो मंदिर हमें देखने को मिला है।

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