
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे बसा एक बेहद ही खूबसूरत शहर है जो हिंदुओं के लिए एक बहुत ही खास तीर्थ स्थलों में जाना जाता है। अगर आप वाराणसी गए हैं तो आपने यह चीज खुद देखी होगी कि यहां कई लोग मुक्ति और शुद्धिकरण के लिए भी आते हैं। वाराणसी में आप कई विशाल मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों को देखने जा सकते है। वाराणसी हर साल यहां आने वाले लाखों पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। आपको बता दें कि यह जगह न केवल भारतीयों को बल्कि विदेशी पर्यटकों को वह भी खूब पसंद आती है। सनातन संस्कृति में विदेशी पर्यटक सराबोर हो जाते है। अगर आप भी इस जगह अपनी फैमिली के साथ जाने की प्लानिंग कर रहे हैं। या अकेले जाने की सोच रहे हैं तो हम आपके यहां कुछ प्रसिद्ध जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप जा सकते हैं।
साल 2018 में फिल्म अभिनेता सनी देओल के अभिनय में बनी फिल्म अस्सी घाट में इसी वाराणसी के अस्सी घाट को दर्शाया गया है। वाराणसी का अस्सी घाट को वह स्थान माना जाता है। जहां महान कवि तुलसीदास का निधन हुआ था। इस जगह का दक्षिणी घाट पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय है। रोजाना इस जगह को देखने के लिए लोगों की संख्या हर घंटे में बढ़ती रहती है। त्योहारों में तो यह संख्या और भी बढ़ जाती है। अस्सी घाट और गंगा नदियों के संगम के बीच स्थित है। आपको बता दें कि इसी अस्सी घाट में एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित बड़े शिव लिंगम के लिए प्रसिद्ध है। इस घाट का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। यहां पुरानी और भी कई जगह इसका उल्लेख किया गया है। अस्सी घाट वाराणसी और स्थानीय लोगों का दिल है। साथ ही पर्यटक गंगा में सूर्यास्त और सूर्योदय के अद्भुत दृश्य का आनंद लेने के लिए यहां सुबह-सुबह पहुंच जाते हैं।
बहुत से लोग इसे वाराणसी का सबसे प्रमुख मंदिर के रूप में भी देखते हैं। यह वाराणसी की आन बान और शान है। इसे पूरे देश का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर मानते हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर की कहानी 3500 साल से भी अधिक पुरानी है। काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। जिसके दर्शन करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। कई भक्तों का मानना है कि शिवलिंग की एक झलक उनकी आत्मा को शुद्ध कर देती है। और जीवन को ज्ञान की ओर ले जाती है। यही वजह है कि यहां देसी और विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है।
तुलसी घाट से गंगा नदी के पास राम नहर किला स्थित है। इस किले को इस समय बनारस के राजा बलवंत सिंह के आदेश पर 1750 ईस्वी में बलूआ पत्थर से बनाया गया था। इसके बाद साल 1971 में सरकार द्वारा यहां एक आधिकारिक राजा का पद समाप्त कर दिया गया था। लेकिन फिर भी पीलू भीरू सिंह को आमतौर पर वाराणसी के महाराज के रूप में जाना जाता है। आपको बता दें कि इस किले के पास वेदव्यास मंदिर राजा का निवास स्थान और क्षेत्रीय इतिहास को समर्पित एक संग्रहालय भी है। जिसे देखने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते है।
संकट मोचन हनुमान मंदिर अस्सी नदी के किनारे स्थित है। यह हनुमान मंदिर वर्ष 1900 के दशक में स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा बनाया गया था। यह भगवान राम और हनुमान को समर्पित है। वाराणसी हमेशा संकट मोचन मंदिर से जुड़ा हुआ है। और इस पवित्र शहर का एक अनिवार्य हिस्सा है। वाराणसी आने वाले प्रत्येक व्यक्ति इस मंदिर पर जरूर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमान अपने भक्त के साथ साथ राम के भक्तों की भी मुराद पूरी करते हैं।
जैसा कि नाम से ही पता चलता है यह घाट अपने आपने वाराणसी की धार्मिक आस्था को समेटे है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान ब्रह्मा ने दशा अश्वमेध यज्ञ किया था। यह घाट एक धार्मिक स्थल है। और यहां कई तरह के अनुष्ठान के किए जाते हैं। यह घाट हर शाम आयोजित होने वाली गंगा आरती के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थान है। यही वजह है कि हर दिन सैकड़ो की संख्या में लोग इसे देखने आते हैं। गंगा आरती देखना एक ऐसा अनुभव होता है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अगर आप फैमिली के साथ वाराणसी आए हैं। तो गंगा आरती में शामिल होने का जरूर सौभाग्य प्राप्त करें।