एलीफेंटा की गुफाएं (Elephanta Caves), गुफाओं का एक समूह है जो कि एलीफेंटा द्वीप पर स्थित है। इस द्वीप पर विभिन्न राजवंशों का बोल बाला रहा है। मौर्य वंश, चालुक्य, सिलहरास, यादव वंश, अहमदाबाद के मुस्लिम राजाओं, पुर्तगालियों, मराठा और अंत में ब्रिटिश शासन के अधीन रह चुका यह द्वीप अपने इतिहास को दर्शाता है। यह पहले घारापुरी नाम से जाना जाता था परंतु जब यहां हाथियों की बड़ी-बड़ी मूर्तियां पायी गई तो इसका नाम "एलीफेंटा" रख दिया गया। वास्तव में यहां दो सामूहिक गुफाएं हैं जिसके पहले समूह में पांच हिंदू गुफाएं हैं, जिनमें पत्थरों को काटकर भगवान शिव के विभिन्न रूपों को उकेरा गया है। 6000 वर्ग फीट के क्षेत्रफल में फैली हुई इन गुफाओं में हिन्दू और बौद्ध धर्म की झलक दिखाई देती है। एलीफेंटा की गुफाएं अपनी अति सुंदर और जीवंत मूर्तियों के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।
एलीफेंटा के बारे में स्थानीय लोगों का मानना है कि यह गुफाएं मानव निर्मित नहीं हैं। महाभारत काल में पांडवों ने निवास करने के लिए इस गुफा का निर्माण किया था। हालांकि इसके बाद यह गुफाएं नौंवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक के सिल्हारा वंश के राजाओं द्वारा निर्मित बताई जाती हैं। पुर्तगालियों को इन गुफाओं में हाथियों की बड़ी-बड़ी मूर्तियां मिली थी जिसके बाद उन्होंने इस स्थान का नाम "एलीफेंटा" रख दिया। एलीफेंटा की गुफाओं को वर्ष 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त हुआ।
चालुक्य राजवंश के राजा पुलकेशिन द्वितीय ने इस गुफा में अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए यहां भगवान शिव के मंदिर का निर्माण करवाया था। यहां भगवान शिव की कई मनमोहक मूर्तियां स्थापित हैं इनमें महायोगी मुद्रा और नटराज मुद्राएं खास हैं।