बेसिलिका ऑफ आर लेडी (Basilica of Our Lady) ऑफ रैन्सम पुर्तगाली मिशनरियों द्वारा निर्मित भारत में सबसे पुराने यूरोपियन चर्चों में से एक है। यह चर्च मूल रूप से वल्लरपडम की होली मैरी जो कि वल्लरपदथ अम्मा के रूप से लोकप्रिय थीं, को समर्पित है। यह चर्च केरल के शहर कोच्चि की मुख्य भूमि, एरनाकुलम से उत्तर की ओर 1 किमी दूर वेम्बनाड झील पर एक छोटे से द्वीप वल्लरपडम के केन्द्र में स्थित है।
ईसाई मान्यता - Christianity Belief
यह 1524 में बनाया गया एक प्राचीन ईसाई चर्च है। यह पवित्र आत्मा यानि होली मैरी को समर्पित एशिया में पहला चर्च माना जाता है। वास्को द गामा की अध्यक्षता में पुर्तगाली व्यापारियों द्वारा इस चर्च में लेडी ऑफ रैन्सम की चमत्कारी तस्वीर लगवाई गई थी। यह तस्वीर होली मैरी और शिशु यीशु की है जो कि चमत्कारी शक्तियों के लिए जानी जाती है।
प्राचीन इतिहास - History of the Church
17वीं शताब्दी में आई एक भयंकर बाढ़ के बाद यह चर्च तबाह हो गया था और ऐसा माना जाता है कि पलियथ रमन वलियाछन जो कोचीन के महाराजा के दीवान थे ने बाढ़ आने के बाद वहां एकत्रित पानी से इस तस्वीर को निकाला था। उसके बाद यह सुंदर चर्च दोबारा सन 1676 में दीवान द्वारा दी गई दान भूमि पर बनवाया गया था। यह चर्च होली मैरी और शिशु यीशु की चमत्कारी तस्वीर और एक दीपक के लिए मशहूर है जो कि कोचीन के महाराजा के दीवान द्वारा ही चर्च में भेंट की गई थी और जो सन 1676 से लेकर आज तक प्रज्वलित है।