नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। देवभूमि उत्तराखंड मसूरी, देहरादून और नैनीताल तक ही सीमित नहीं है। आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जिसका नाम आपने कभी नहीं सुना होगा। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की गुमनाम पहाड़ी लोहाघाट की, जहां की प्रकृति आपका मन मोह लेगी। इस सप्ताह यात्रा की योजना बना रहे किसी भी व्यक्ति को इस स्थान पर अवश्य विचार करना चाहिए।
पंचेश्वर महादेव मंदिर
पंचेश्वर लोहाघाट के पास एक छोटा सा शहर है, जो दो नदियों सरयू और काली का प्रतीक है। जब आप इस जगह को देखते हैं तो जो एहसास होता है वह अलग होता है। यह जगह अपनी छोटी आबादी के लिए जानी जाती है। यही वजह है कि यहां पर्यटक सबसे ज्यादा आते हैं। इसके अलावा, यह शहर नेपाल के भी करीब है और अक्सर नेपाली लोग यहां आते रहते हैं। यदि आप इस लंबे वीकेंड को किसी कम भीड़-भाड़ वाली और शांत जगह पर मनाना चाहते हैं, तो पंचेश्वर आपके लिए सही जगह है। पंचेश्वर में पंचेश्वर महादेव मंदिर है जिसे भगवान शिव का पवित्र मंदिर माना जाता है। यह भारत-नेपाल सीमा के तल पर चंपावत जिले के लोहाघाट के पास शारदा और काली नदियों के संगम पर स्थित है।
लोहाघाट मायावती आश्रम
मायावती आश्रम लोहाघाट से लगभग 9 किमी दूर स्थित है। इस आश्रम में दुनिया भर से कई लोग आते हैं। आश्रम की सुंदरता इसका पुस्तकालय और प्रदर्शनी हॉल है। अगर आप इस हफ्ते कुछ शांत समय बिताना चाहते हैं तो आपको मायावती आश्रम जरूर जाना चाहिए। इस आश्रम के चारों ओर हर तरह के फूल हैं और आश्रम की सुंदरता दिखाने का हर संभव प्रयास किया गया है। इस आश्रम में आकर आपको एक अलग ही शांति और सुकून का एहसास होता है।
अब्बोट्ट माउंट
यदि आप प्रकृति में एक लंबा वीकेंड बिताना चाहते हैं, तो माउंट एबॉट आपके लिए उपयुक्त स्थान है। यह स्थान लगभग 6400 फीट की ऊंचाई पर है। माउंट एबट लोहाघाट के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यहां कई बंगले हैं जो इस जगह की खूबसूरती में एक और आयाम जोड़ते हैं। हरियाली से भरा कमरा तन-मन को प्रसन्न करता है। यह स्थान फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त है।
बाणासुर का किला
उत्तराखंड में यूं तो कई किले बने हैं, लेकिन लोहाघाट का यह किला बेहद खास है। यहां बाणासुर किला है, जो लोगों के बीच काफी मशहूर है। इस महल की अपनी एक अलग ही मान्यता है। श्रीकृष्ण ने इसी किले में बाणासर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस किले का नाम बाणासुर का किला रखा गया। इसके अलावा इस किले को भोवाली किले के नाम से भी जाना जाता है। बाणासुर के इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यहां से आपको लोहाघाट की पहाड़ियों का शानदार नजारा दिखता है।
लोहाघाट कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से: लोहाघाट का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो उत्तराखंड के नैनीताल जिले में 160 किमी दूर स्थित है। पंतनगर हवाई अड्डे से लोहाघाट के लिए टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग द्वारा: लोहाघाट का निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर है, जो लोहाघाट से 60 किमी दूर है। टनकपुर रेलवे स्टेशन से लोहाघाट के लिए टैक्सियाँ और बसें उपलब्ध हैं। टनकपुर लखनऊ, दिल्ली, आगरा और कोलकाता जैसे प्रमुख भारतीय स्थलों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा: लोहाघाट सड़क मार्ग द्वारा उत्तराखंड और उत्तरी भारत के प्रमुख स्थलों से जुड़ा हुआ है। आप आईएसबीटी आनंद विहार से टनकपुर, लोहाघाट और कई अन्य स्थानों के लिए बसें पा सकते हैं। आप शहरों से टैक्सी द्वारा भी लोहाघाट पहुंच सकते हैं।
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