
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। भारत सरकार ने दिल्ली-अजमेर रूट पर वंदे भारत को उसकी टॉप स्पीड यानी 180 किमी प्रति घंटे के साथ चलाने की प्लानिंग की है। लेकिन अभी तक केवल एक ही रूट ऐसा है, जहां वंदे भारत 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ती है। वरना कहीं 110, तो कहीं 90 की स्पीड से भी दौड़ती है। चलिए आपको स्पीड कम होने का कारण बताते हैं।
पहला कारण समझें-
इसका मुख्य कारण रेल की मजबूती है। भारत में बिछाई गई सभी रेलवे लाइनें लंबे समय तक 180 या 160 की गति को बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं। वंदे भारत की औसत गति एक ही ट्रैक पर चलने वाली राजधानी या शताब्दी से अधिक होती है, भले ही वह अपनी अधिकतम गति तक न पहुंच पाए। दिल्ली-वाराणसी वंदे भारत वर्तमान में अपनी औसत गति 95 किमी/घंटा बनाए हुए है। हालाँकि, उन्हें निर्धारित गति से चलने वाला वंदे भारत नहीं कहा जा सकता है।
वंदे भारत ट्रेन के धीरे चलने का कारण
एक अन्य महत्वपूर्ण कारण अलार्म सिस्टम है। इसी वजह से वंदे भारत 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हजरत निजामुद्दीन से रानी कमलापति स्टेशन (खबीबगंज) तक जाती है। दरअसल, दूसरे रूट पर चलने वाली ट्रेन के ड्राइवर को खुद सिग्नल देखना होता है। जब गति 140 से अधिक हो जाती है, तो उसके लिए लाल या हरा सिग्नल देखना मुश्किल होता है। इससे दुर्घटना हो सकती है।
भोपाल रूट पर पकड़ती है रफ्तार
दिल्ली-भोपाल रूट पर निजामुद्दीन से आगरा आने वाले स्टेशन पर ऑटोमेटिक सिग्नल फिट है।यहां पटरियों पर एक ट्रांसमीटर लगा होता है, जो ट्रेन में मौजूद रिसीवर को यह संदेश देता है कि ट्रेन आगे है तो लोकप पायल सिंगल के लिए बाहर देखने की जरूरत नहीं है। कैब में "रेड सिग्नल" संदेश मिलने पर ट्रेन चालक धीरे-धीरे धीमा होने लगता है। अगर किसी कारणवश ऐसा संभव नहीं हो पाता है तो ट्रेन एक निश्चित दूरी पर खुद रुक जाएगी। वंदे भारत दिल्ली-भोपाल मार्ग के हजरत निजामुद्दीन-आगरा खंड पर 161 किमी/घंटा की गति से यात्रा करता है। ट्रेन ने इस मार्ग पर प्रति घंटे 160 गुना तक की गति से यात्रा की है।
वंदे भारत ट्रेन की विशेषताएं
वंदे भारत एक्सप्रेस एक निश्चित गति से धीमी क्यों चलती है, यह हम आपको बता चुके हैं, अब आप इस ट्रेन की कुछ विशेषताओं के बारे में और जानेंगे।
आप आरामदायक कुर्सियों को 360 डिग्री घुमा सकते हैं। ट्रेन में सीटें और पूर्ण आकार के डिब्बे हैं।
प्रत्येक गाड़ी में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो सुरक्षा का एक बहुत अच्छा उपाय है।
ट्रेन के हर डिब्बे में चार्जिंग स्टेशन भी लगाए गए हैं। यहां आप मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक चीजें चार्ज कर सकते हैं।
सीमित गतिशीलता वाले लोग और नेत्रहीन भी बिना किसी समस्या के यात्रा कर सकते हैं, क्योंकि गेट अपने आप खुलता और बंद होता है।
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