स्वयंसेवी संस्थाओं, एनजीओ और सामाजिक संगठनों के सहयोग से शुरू होंगे कोविड देखभाल केंद्र

 स्वयंसेवी संस्थाओं, एनजीओ और सामाजिक संगठनों के सहयोग से शुरू होंगे कोविड देखभाल केंद्र
स्वयंसेवी संस्थाओं, एनजीओ और सामाजिक संगठनों के सहयोग से शुरू होंगे कोविड देखभाल केंद्र

ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में पायलट केंद्र शुरू करने स्वास्थ्य विभाग ने सभी कलेक्टरों को जारी किया परिपत्र रायपुर,19 सितम्बर (हि.स.)। कोविड-19 के बिना लक्षण और हल्के लक्षणों वाले मरीजों के स्थानीय स्तर पर देखभाल के लिए कोविड देखभाल केंद्र शुरू किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग जिला प्रशासन के माध्यम से इन केंद्रों के संचालन में स्वयं सेवी संस्थाओं, गैर-सरकारी और सामाजिक संगठनों की सहायता लेगी। स्वास्थ्य विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु जी. पिल्ले ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमितों के लिए इस तरह के पायलट सामुदायिक देखभाल केंद्र शुरू करने सभी कलेक्टरों को शनिवार को परिपत्र जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में कलेक्टरों को जारी परिपत्र में कहा गया है कि प्रदेश में पिछलों दिनों में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हुई है। कोविड-19 मरीजों के अध्ययन में यह तथ्य संज्ञान में आया है कि संक्रमित पाए गए ज्यादातर लोग लक्षणरहित हैं। लक्षणरहित मरीजों की संख्या में वृद्धि की संभावना को देखते हुए गैर-लाक्षणिक और कम लक्षण वाले धनात्मक प्रकरणों की स्थानीय स्तर पर देखभाल के लिए सामुदायिक कोविड देखभाल केन्द्र शुरू किया जाना उपयोगी होगा। यह केन्द्र स्वैच्छिक स्वास्थ्य संस्थाओं, अन्य सामाजिक संस्थाओं और जिला प्रशासन के माध्यम से संचालित किए जाएंगे। इस तरह के कोविड देखभाल केन्द्रों को कोविड अस्पतालों या कोविड केयर सेन्टर्स के नजदीक स्थापित किया जाना उचित होगा, जिससे कि वहां भर्ती किसी मरीज के लक्षणों में वृद्धि या आपात स्थिति होने पर उसे तत्काल आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया जा सके।इन अस्पतालों में पदस्थ चिकित्सकीय एवं पैरामेडिकल स्टॉफ जैसे आयुष चिकित्सक, दंत चिकित्सक, ग्रामीण चिकित्सा सहायक, सी.एच.ओ., नेत्र सहायक और बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एम.पी.डब्ल्यू) द्वारा सामुदायिक कोविड देखभाल केन्द्र में रखे गए मरीजों को टेली-कंसल्टेशन के माध्यम से उपचार संबंधी परामर्श उपलब्ध कराया जाए। अपर मुख्य सचिव ने कलेक्टरों को कहा है कि कोविड देखभाल केन्द्रों की शुरुआत जिलों में पायलट केन्द्रों के रूप में किया जाना है। इन पायलट केन्द्रों के अनुभव के आधार पर एवं कोरोना संक्रमण के फैलाव के अनुसार इनका विस्तार जिलों के अन्य नगरीय क्षेत्रों एवं विकासखण्डों में किया जा सकता है। उन्होंने परिपत्र में कहा है कि पायलट केन्द्रों के क्रियान्वयन के लिए ऐसे स्थानों का चयन किया जाए जहां उपयुक्त स्वैच्छिक स्वास्थ्य संस्थाएं तथा अन्य समाज सेवी संस्थाएं उपलब्ध हैं, और जहां स्थानीय समुदाय शहरी या ग्रामीण कोविड देखभाल केन्द्र के क्रियान्वयन के लिए सहमत हैं। कोविड देखभाल केन्द्र के लिए भवन के चयन में बड़े भवन को प्राथमिकता दी जाए, ताकि एक ही स्थान पर ज्यादा मरीजों सेवा प्रदान की जा सके। परिपत्र में सामुदायिक देखभाल केन्द्रों के संचालन के लिए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संस्थाओं के दायित्वों का भी उल्लेख किया गया है। जिला प्रशासन को सामुदायिक देखभाल केन्द्रों के लिए भवन, भोजन और साफ-सफाई की व्यवस्था सी.एस.आर. या डी.एम.एफ. मद या स्वैच्छिक संस्थाओं के सहयोग से कराने के निर्देश दिए गए हैं। जिला प्रशासन द्वारा सामुदायिक देखभाल केन्द्र के संचालन के लिए आवश्यक समन्वय भी किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल किट, टेली-कंसल्टेशन एवं आपात स्थिति में 108-शासकीय एंबुलेन्स द्वारा परिवहन की सुविधा प्रदान की जाएगी। सामुदायिक देखभाल केन्द्रों की निगरानी में समुदाय की महत्वपूर्ण सहभागिता रहेगी। इसके लिए समुदाय में से जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओ, सक्रिय युवाओं आदि का चिन्हांकन किया जा सकता है। इसके लिए समुदाय को जागरुक एवं प्रेरित करने मितानिनों का सहयोग लिया जा सकता है। राज्य स्तर पर इन केंद्रों की निगरानी राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र द्वारा की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/केशव-hindusthansamachar.in

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