संतान प्राप्ति के लिए पेट के बल लेटी माहिलाओं के ऊपर से ध्वज लेकर गुज़रे 11 से अधिक बैगा

संतान प्राप्ति के लिए पेट के बल लेटी माहिलाओं के ऊपर से ध्वज लेकर गुज़रे 11 से अधिक बैगा
संतान प्राप्ति के लिए पेट के बल लेटी माहिलाओं के ऊपर से ध्वज लेकर गुज़रे 11 से अधिक बैगा

अंगारमोती मंदिर में मडई में जुटते हैं हर साल हजारों लोग धमतरी, 21 नवंबर ( हि. स.)। गंगरेल बांध स्थित मां अंगारमोती के मंदिर में हर साल मड़ई के मौके पर हजारों की भीड़ जुटती है। निस्संतान महिलाएं खासतौर पर इस दिन मंदिर पहुंचती है। ध्वज और मडई लेकर जाते बैगाओ के सामने पेट के बल लेटकर संतान प्राप्ति के लिए कामना करती है। जिला मुख्यालय धमतरी से 12 किलोमीटर की दूरी पर गंगरेल बांध है। बांध क्षेत्र में ही मां अंगारमोती का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां हर साल दिवाली त्योहार के बाद पड़ने वाले प्रथम शुक्रवार को मेला मडई का आयोजन होता है। गंगरेल बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले 52 गांव के देवी-देवताओं को लेकर वहां के बैगा हर साल मडई में पहुंचते हैं। यहां की मडई को देखने के लिए हजारों लोग हैं। दूर-दूर से लोग आते हैं। मडई के दिन निस्संतान महिलाएं बड़ी संख्या में यहां पहुंचती है। मां अंगारमोती की मडई में 200 से ज्यादा निस्संतान महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना लेकर पहुंची थी। मान्यता के अनुसार मड़ई, ध्वज और डांग लेकर चल रहे 11 से अधिक बैगाओ की टोली के सामने 200 से अधिक निस्संतान महिलाएं पेट के बल लेट गई। बैगाओ की टोली महिलाओं के ऊपर से गुजरी। मान्यता है कि इस तरह महिलाओं के लेटने और उनके ऊपर से बैगाओं के गुजरने से माता की कृपा मिलती है और निस्संतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। माँ अंगारमोती मंदिर में मडई के अवसर पर ध्वज और मडई लेकर गुजर रही बैगाओ गांव की टोली के सामने जमीन पर पेट के बल लेटना अंधविश्वास है या आस्था, इसकी चर्चा लोगों में होती रहती है। कई लोग इसे अंधविश्वास की पराकाष्ठा कहते हैं। मालूम हो कि वर्ष 1973 में गंगरेल बांध बनने के पहले इस क्षेत्र में 52 गांव का वजूद था। महानदी, डोड़की नदी तथा सूखी नदी के संगम पर ही तीन गांव चंवर, बटरेल तथा कोरलम स्थित थे। पूर्व में इन गांवों की टापू पर स्थित मां अंगारमोती की मूर्ति को बांध बनने के बाद किनारे ही स्थापित कर दिया गया। माता के दरबार में सिद्घ भैरव भवानी, डोकरा देव, भंगाराम की स्थापना है। 400 वर्षो से कच्छप वंशीय (नेताम) ही मां अंगार मोती की पूजा सेवा करते आ रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन-hindusthansamachar.in

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