नक्सलवाद के सफाए के लिए बनी कारगर एवं प्रभावी रणनीति
जगदलपुर, 21 दिसंबर (हि.स.)। बस्तर में फोर्स के लगातार बढ़ते दबाव से परेशान नक्सलियों ने पलटवार की रणनीति तैयार कर इस वर्ष को पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) वर्ष घोषित किया है। इधर फोर्स इस अवसर को नक्सलवाद के सफाए के लिए उपयुक्त मानकर गृह मंत्रालय के विशेष सुरक्षा सलाहकार के. विजय कुमार लगातार बस्तर और सीमा से सटे राज्यों के पुलिस अफसरों की बैठक लेकर नक्सलवाद के सफाए की रणनीति तयकरने में जुटे हैं। डीजीपी अशोक जुनेजा ने आपरेशन की कमान खुद संभाल ली है। वहीं बस्तर आईजी सुंदरराज पी लगातार अंदरूनी इलाकों के कैंपों तक जाकर जवानों का हौसला बढ़ा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार बस्तर संभाग में नक्सलियों ने बड़ा रणनीतिक फेरबदल किया है। नक्सली मार्च में महिला दिवस के बाद से चलाए जाने वाले टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन) की शुरुआत इस बार जनवरी से ही करने वाले हैं। टीसीओसी के दौरान अब तक कई बड़े हमले किये जा चुके हैं, जिसमें 06 अप्रैल 2010 ताड़मेटला में फोर्स पर नक्सलियों का बड़ा हमला हुआ जिसमें 76 जवान शहीद हुए। 25 मई 2013 झीरम घाटी हमला जिसमें कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा सहित 30 से अधिक कांग्रेसी और जवान शहीद हुए थे। 17 मार्च 2014 टाहकवाड़ा में नक्सलियों के बड़े हमले में 15 जवान शहीद हुए थे। 12अप्रैल 2014 दरभा में एंबुलेंस को निशाना बनाया गया जिसमें 05 जवानों सहित 108 एंबुलेंस के पायलट और ईएमटी को मौत हुई थी। लेकिन वर्ष 2014 के बाद नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम नही दे पाये हैं। बस्तर आईजी सुदरराज पी ने कहा कि निरंतर चौतरफा दबाव साथियों का समर्पण एवं गिरफ्तारी के बाद नक्सलियों का आधार खिसकने से वे बौखलाए हुए हैं, जिसके कारण नक्सलियों ने इस बार पीएलजीए सप्ताह की जगह पूरा वर्ष इसे मनाने की बात सामने आ रही है। लेकिन वर्ष 2014 के बाद नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम नही दे पाये हैं। बावजूद इसके सुरक्षा बल नक्सलियों तमाम गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुई हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे-hindusthansamachar.in