West Bengal Panchayat Election: पंचायत चुनाव में भारी हिंसा, 16 लोगों की हत्या, कांग्रेस ने टीएमसी को घेरा

मालदा में TMC के कार्यकर्ता की हत्या हुई। कूचबिहार के दिनहटा में भाजपा कार्यकर्ता को मौत के घाट उतारा गया जबकि नदिया, बर्दवान, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना में भी हत्या की घटनाएं सामने आती रहीं।
West Bengal Panchayat Election
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कोलकाता, हि.स.। पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में शनिवार को मतदान के दौरान राज्यभर में 100 से अधिक स्थानों पर हुई हिंसा में कम से कम 16 लोग मारे गए। जबकि कई लोग घायल हुए हैं। जान गंवाने वाले 16 लोगों में से तृणमूल कांग्रेस के 09, सीपीएम के 02, आईएसएस के 01, भाजपा के दो और कांग्रेस के दो लोग शामिल हैं। हालांकि राज्य चुनाव आयोग ने सिर्फ तीन लोगों की मौत की पुष्टि की है।

सुबह 07 बजे मतदान शुरू होते ही मुर्शिदाबाद जिले में तीन लोगों की हत्या की खबर आई। उसके बाद मालदा में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता की हत्या हुई। कूचबिहार के दिनहटा में भाजपा कार्यकर्ता को मौत के घाट उतारा गया जबकि नदिया, बर्दवान, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना में भी हत्या की घटनाएं सामने आती रहीं। हालांकि राज्य के चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा मतदान शुरू होने के तीन घंटे बाद दफ्तर पहुंचे। उनके पहुंचने से पहले राज्य चुनाव आयोग के दफ्तर में एक दर्जन से अधिक लैंडलाइन लगातार बजते रहे, लेकिन शिकायतें नहीं सुनी गईं। उसके बाद जब आए तो शांतिपूर्वक और सुरक्षित मतदान सुनिश्चित करने में आयोग की विफलता की जिम्मेदारी लेने के बजाय इसका ठीकरा कभी राज्य पुलिस पर तो कभी केंद्रीय बलों पर फोड़ते रहे।

आधिकारिक तौर पर केवल तीन लोगों की मौत

16 लोगों की मौत के बावजूद चुनाव आयुक्त सिन्हा ने आधिकारिक तौर पर केवल तीन लोगों की मौत की पुष्टि की। हिंसा की घटनाओं के लिए केंद्रीय बलों को जिम्मेदार ठहराते हुए राजीव सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए हमने केंद्रीय गृह मंत्रालय को 25 जून को ही पत्र दे दिया था। कायदे से 27 जून को केंद्रीय बलों की तैनाती हो जानी चाहिए थी, लेकिन उसमें काफी देर हुई। अगर केंद्रीय बलों के जवान समय पर आ गए होते तो हिंसा की इन घटनाओं को रोका जा सकता था।

100 से अधिक जगहों पर बमबारी

राज्य में मतदान के दौरान जो वीडियो सामने आए हैं उसमें 100 से अधिक जगहों पर बमबारी, गोलीबारी और लाठी डंडे से हमले हुए हैं। इससे जुड़े सवाल पर राजीव सिन्हा ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना राज्य सरकार का काम है। जहां भी घटना हुई है वहां निश्चित तौर पर पुलिस ने कार्रवाई की है और जहां बाकी रह गया है वहां नियमानुसार मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

विपक्ष ने बोला हमला

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने केंद्रीय बलों के कोऑर्डिनेटर बीएसएफ के आईजी एसएस गुलेरिया को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की और कहा कि हाई कोर्ट ने सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया था, जिसका अनुपालन नहीं हुआ। यह न्यायालय की अवमानना है। उन्होंने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को भी ममता का सुपारी किलर करार दिया और कहा कि उन्होंने जितनी अवैध संपत्ति एकत्रित की है उसकी सूची उनके पास है। इसका हिसाब किताब करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि मतदान के बाद वह चुनाव आयोग के दफ्तर में जाकर ताला लगाएंगे।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिस तरह से राज्य में हिंसा की घटनाएं हुई हैं वह दिल दहलाने वाली हैं। भाजपा की सेंट्रल पुलिस ने ममता बनर्जी की पुलिस के साथ मिलकर लोकतंत्र का गला घोंटा है। माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि जगह-जगह हमले और हिंसा की घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि बंगाल में चुनाव नहीं हुआ है बल्कि प्रहसन किया गया है।

राज्यपाल ने भी उठाए सवाल

राज्य में चुनाव शुरू होते ही हिंसा की घटनाओं की सूचना मिलने के बाद राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस भी राजभवन से निकले और बैरकपुर होते हुए मुर्शिदाबाद और अन्य क्षेत्रों में गए। उन्होंने पीड़ित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि जो भी हो रहा है वह चिंताजनक है। उन्होंने प्रशासन से हिंसा की घटनाओं में कार्रवाई का आदेश दिया।

तृणमूल ने कहा- जानबूझकर भड़काई गई हिंसा

इधर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा, माकपा और कांग्रेस समेत राज्यपाल पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। मंत्री शशि पांजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्यभर में 61 हजार से अधिक मतदान केंद्रों में से केवल 7 से 8 मतदान केंद्र पर भारी और करीब 60 केंद्रों पर थोड़ी बहुत हिंसा हुई है। बाकी सब जगह शांतिपूर्वक चुनाव हुए हैं। शशि पांजा ने कहा कि सबसे अधिक तृणमूल के लोग मारे गए हैं। जाहिर सी बात है हिंसा भड़काई गई थी। उन्होंने केंद्रीय बलों पर भी लोगों को धमकाने का आरोप लगाया। उनके साथ बैठकर मीडिया से बात कर रहे पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि कुछ लोग खून की होली खेलने जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ लोग तृणमूल पर हमले के लिए लोगों को उकसा रहे हैं। यह सबकुछ जानबूझकर किया गया है ताकि इस तरह का संदेश दिया जा सके कि बंगाल में चुनाव नहीं होते बल्कि हिंसा होती है। आखिर केंद्रीय बलों की तैनाती का क्या मतलब था?

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