यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार ने भारत-चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता बताई कमजोर, बढ़ा बवाल तो दी सफाई

यूक्रेन के राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने भारत और चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता को कमजोर करार दिया है। इस टिप्पणी पर बवाल के बाद यूक्रेन की ओर से इस मसले पर सफाई भी दी गई है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार ने भारत-चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता बताई कमजोर, बढ़ा बवाल तो दी सफाई

कीव/बीजिंग, हि.स.। यूक्रेन के राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने भारत और चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता को कमजोर करार दिया है। इस टिप्पणी पर बवाल के बाद यूक्रेन की ओर से इस मसले पर सफाई भी दी गई है।

जी-20 शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र पर जताई नाराजगी

भारत में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में यूक्रेन का सीधा जिक्र न होने से नाराज यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के सलाहकार मायखाइलो पोडोल्याक ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि भारत और चीन के पास 'कमजोर बौद्धिक क्षमता' है और वो अपने कामों के नतीजों का विश्लेषण नहीं करते हैं।

यह था उनका कथन

यूक्रेन की मीडिया को दिये साक्षात्कार में पोडोल्याक ने कहा, ''भारत, चीन के साथ समस्या यह है कि वो अपने कदमों के परिणामों का विश्लेषण नहीं कर रहे हैं, दुर्भाग्य से इन देशों की बौद्धिक क्षमता कमजोर है।'' उन्होंने इसी टिप्पणी में चंद्रयान-3 का भी जिक्र कर डाला। उन्होंने कहा, ''हां, वो विज्ञान में निवेश करते हैं। यह सच है कि भारत ने वर्तमान में एक चंद्र रोवर लॉन्च किया है और अब चंद्रमा की सतह पर ट्रैकिंग कर रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह देश पूरी तरह से समझता है कि आधुनिक दुनिया क्या है।''

हो सकता है द्विपक्षीय संबंधों का नुकसान

पोडोल्याक की इस टिप्पणी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐसी टिप्पणियां द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अभी तक भारत की तरफ से इस पर कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, किन्तु चीन ने इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि यूक्रेन के अधिकारी को अपनी टिप्पणी के लिए जवाब देना होगा। बवाल बढ़ने के बाद पोडोल्याक की ओर से सफाई दी गयी है। पोडोल्याक ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि तुर्की, भारत, चीन और अन्य क्षेत्रीय शक्तियां आधुनिक दुनिया में वैश्विक भूमिकाओं का दावा करने में तेजी से और स्पष्ट रूप से सक्रिय हैं। इन देशों की ऐतिहासिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक भूमिकाएं लंबे समय से रूस की तुलना में कहीं अधिक व्यापक रही हैं।

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