the-ruling-ipft-brought-revenge-by-staying-in-alliance-with-the-bjp
the-ruling-ipft-brought-revenge-by-staying-in-alliance-with-the-bjp

सत्तारूढ़ आईपीएफटी ने भाजपा के साथ गठबंधन में रहकर बदला पाला

अगरतला, 19 फरवरी (हि.स.)। त्रिपुरा में सत्तारूढ़ आईपीएफटी ने भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए अपना पाला बदल लिया है। एडीसी चुनाव के मद्देनजर आईपीएफटी ने तीन राजनीतिक दलों के द्वारा गठित राजनीतिक पार्टी “तिपराहा” का दामन थाम लिया है। आईपीएफटी ने व्यापक हितों का हवाला देते हुए त्रिपुरा में अपने सहयोगी भाजपा से कुछ दूरी बनाते हुए तिपराहा के साथ हाथ मिलाने का दावा किया है। उन्होंने गठबंधन बनाकर आगामी एडीसी चुनावों लड़ने की घोषणा की है। आईपीएफटी के अध्यक्ष और राजस्व मंत्री एनसी देववर्मा, पार्टी के महासचिव और आदिम जाति कल्याण मंत्री मेंबर कुमार जमातिया और प्रद्युत किशोर देबबर्मन ने शुक्रवार को यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इस समझौते की घोषणा की। एनसी देववर्मा के शब्दों में, जनजाति कल्याण के मद्देनजर हमारे साथ तिपराहा का विचार काफी मिलता है। वे ग्रेटर तिपरालैंड चाहते हैं। परिणामस्वरूप, हमने एक साझा कार्यक्रम के माध्यम से जनजातियों के कल्याण के लिए काम करने के लिए एक गठबंधन बनाने का फैसला किया है। उनके अनुसार, इस मुद्दे पर कई बैठकें हुई हैं। फिर हम एक आम सहमति पर पहुंच गए। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि आईपीएफटी भाजपा के साथ अपना गठबंधन नहीं तोड़ रही है। हालांकि, हम तिपराहा के साथ गठबंधन में एडीसी चुनाव लड़ेंगे। भाजपा चाहे तो उसके लिए भी हमारे द्वार खुले हैं। वहीं मेंबर कुमार जमातिया ने कहा, मैं त्रिपुरा सरकार के काम से संतुष्ट नहीं हूं। आदिवासी कल्याण के वादे को पूरा करने के कोई अवसर दिख नहीं रहा है। परिणाम स्वरूप, तिपराहा के साथ गठबंधन बनाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। इस विषय पर एनसी देववर्मा ने कहा, वैचारिक रूप से हम अलग हैं। नतीजतन, कोई भी पार्टी किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है। आईपीएफटी के इस फैसले से स्पष्ट है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों ने एडीसी चुनावों के लिए अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। भाजपा के साथ रिस्ता रखकर एडीसी चुनावों के मद्देनजर आपीएफटी का शिविर बदलना इसी बात का संकेत दे रहा है। ज्ञात हो कि 48 सदस्यीय एडीसी चुनाव में आईपीएफटी भाजपा से लगभग आधी से अधिक सीटों की मांग कर रही थी। भाजपा उतनी सीटें देने के लिए तैयार नहीं थी। जबकि, तीन पार्टियों के एक साथ गठबंधन बनाने से भी आईपीएफटी को अपने वोट बैंक में सेंध लगती नजर आई। इन तमाम बातों के मद्देनजर एईपीएफटी भाजपा के साथ सत्ता में रहते हुए भी एडीसी चुनाव में अधिक सीट जीतने के लिए भाजपा से अलग रास्ता अपना लिया है। अब देखना होगा कि आईपीएफटी को इसका कितना लाभ मिलता है। हिन्दुस्थान समाचार/ संदीप/ अरविंद

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in