
नई दिल्ली, हि.स.। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्डा ने सरकारी आवास के आवंटन को रद्द करने के राज्यसभा सचिवालय की हाउस कमेटी के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। आज राघव चड्डा की ओर से पेश वकील ने चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए जल्द सुनवाई की मांग की। उसके बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई करने के लिए आज यानी 11 अक्टूबर को का आदेश दिया है। मेंशन करने के दौरान राघव चड्डा की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया गया है।
पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई
उल्लेखनीय है कि 5 अक्टूबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्डा के सरकारी आवास के आवंटन को रद्द करने के राज्यसभा सचिवालय की हाउस कमेटी के आदेश पर रोक लगाने के अपने फैसले को वापस ले लिया था।
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज सुधांशु कौशिक ने कहा था कि राघव चड्डा को बंगले पर निहित अधिकार नहीं है और एक सांसद होने के नाते उन्हें सुविधा दी गई है। पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।
राघव चड्डा आवंटित बंगले के पात्र नहीं
पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि सरकारी बंगले का आवंटन एक राज्यसभा सदस्य के पूरे कार्यकाल के दौरान एक सुविधा है और वो एक अधिकार नहीं है। जब बंगले का आवंटन रद्द कर दिया गया तो वे इस बंगले पर अपना अधिकार नहीं जता सकते। सुनवाई के दौरान राज्यसभा सचिवालय ने कहा था कि आवास और भत्ते का आवंटन नियमों के मुताबिक किया जाता है। इसके लिए गठित समिति ने जो बंगला उन्हें आवंटित किया था, वह उसके पात्र नहीं थे, जिसकी वजह से बाद में उस बंगले को वापस ले लिया गया।
राज्यसभा सचिवालय की ओर से कहा गया था कि राज्यसभा सदस्य होने के नाते चड्ढा को टाइप 6 बंगला आवंटित किया जाना चाहिए था जबकि उन्हें टाइप 7 का बंगला आवंटित कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान राघव चड्डा की ओर से कहा गया था कि उन्हें परेशान करने की नीयत से आवंटित किए गए बंगले को बिना कोई कारण बताए ही रद्द कर दिया गया।
एक बार फिर से रद्द कर दिया गया, सरकारी आवास का आवंटन
दरअसल, राज्यसभा सचिवालय की ओर से राघव चड्ढा को सबसे पहले नई दिल्ली में टाइप 7 बंगला आवंटित किया गया था, जो कि आमतौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल या मुख्यमंत्री होते हैं, वह बंगला उनको दिया जाता है। इसके बाद राज्यसभा सचिवालय की हाउस कमेटी ने उनको दूसरा नया बंगला उनकी सांसद कैटेगरी के अनुसार टाइप 6 आवंटित किया। इसमें वह अपने परिवार के साथ रह रहे थे। अब उनके सरकारी आवास का आवंटन टाइप 5 का पात्र होने के चलते एक बार फिर से रद्द कर दिया गया।
निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राघव चड्ढा
इसके साथ आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राघव चड्ढा को 11 अगस्त को निलंबित किया गया था। पांच सांसदों की सहमति के बिना उनका नाम सेलेक्ट कमेटी के लिए प्रस्तावित करने के आरोप में उन्हें निलंबित किया गया था। मामला अभी विशेषाधिकार कमेटी के पास है। राघव ने निलंबन को गलत बताया है। इस मामले मे पांच सांसदों का दावा था कि दिल्ली सेवा विधेयक को उनकी सहमति के बिना सेलेक्ट कमेटी को भेजने के प्रस्ताव पर उनके नाम का उल्लेख किया गया था। यह प्रस्ताव आप सांसद राघव चड्ढा ने पेश किया था, जिसमें सांसद चड्ढा पर फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप है। इसके विरोध दर्ज कराने वाले सदस्यों में से तीन बीजेपी के सांसद हैं। एक सांसद बीजेडी से हैं और एक अन्नाद्रमुक सांसद हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जांच की मांग की थी।
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