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Manipur Violence: मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त! DGP को पेश होने के दिए निर्देश; सरकार से भी मांगा जवाब

Manipur Violence: मणिपुर मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई सोमवार के लिए तय किया है और मणिपुर के डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया है।

नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। Supreme Court On Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि साफ है कि हालात प्रदेश की पुलिस के नियंत्रण के बाहर है। उन्होंने कहा कि मई से जुलाई तक कानून-व्यवस्था ठप हो गई थी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई सोमवार के लिए तय किया है और मणिपुर के डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया है।

केस CBI को सौंपने पर क्या बोला कोर्ट?

मामला सीबीआई को सौंपने की मांग पर अदालत ने कहा कि एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पा रही थी। कोर्ट ने कहा कि यदि 6000 में से 50 एफआईआर सीबीआई को सौंप भी दिए जाएं तो बाकी 5950 मामलों का क्या होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वीडियो वाले मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई। अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद उनका बयान दर्ज किया। 

सॉलिसीटर जनरल ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि हमने एक स्टेटस रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा कि ये तथ्यों पर है, भावनात्मक दलीलों पर नहीं है। उन्होंने कोर्ट में बताया कि सभी थानों को निर्देश दिया गया कि महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज कर जल्द से जल्द कार्रवाई करें। उन्होंने कोर्ट में बताया कि 250 गिरफ्तारियां हुई हैं और लगभग 1200 को हिरासत में लिया गया है।

मणिपुर के DGP को पेश होने का आदेश

चीफ जस्टिस ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि अब तक सीबीआई को सौंपी गई दो FIR के अलावा भी 11 को राज्य सरकार सीबीआई को सौंपना चाहती है। कोर्ट ने कहा अभी तक की पुलिस कार्रवाई धीमी और अपर्याप्त रही है। अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य के डीजीपी व्यक्तिगत रूप से पेश होकर कोर्ट के सवालों का जवाब दे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सभी मामलों का वर्गीकरण कर कोर्ट में चार्ट जमा करवाया जाए।

कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

अदालत ने कहा कि यह बताया जाए कि घटना कब हुई, जीरो एफआईआर कब हुई, उसे नियमित एफआईआर में कब बदला गया। उन्होंने आगे कहा बयान कब लिए गए, गिरफ्तारी कब हुई। साथ ही पूछा कि क्या आरोपियों को एफआईआर में नामजद किया गया है?

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