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लोढ़ा समिति ने किया सुधारों का नेतृत्व, लेकिन पारदर्शिता अब भी सपना

मुंबई, 27 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा समिति 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के तीन साल बाद एक नए संविधान को अपनाकर और 2019 में चुनाव कराया, जिसके परिणामस्वरूप सौरव गांगुली और जय शाह ने क्रमश: अध्यक्ष और सचिव के रूप में पदभार संभाला। तब से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दो संस्करण आयोजित किए जा चुके हैं और तीसरा शनिवार को यहां वानखेड़े स्टेडियम में शुरू हुआ। लोढ़ा समिति की सिफारिशों ने आईपीएल में कुछ बदलाव लाए हैं, जैसे कुछ फ्रेंचाइजी के स्वामित्व पैटर्न में हितों के टकराव खंड की शुरुआत, प्रशासकों की उम्र पर प्रतिबंध, एक व्यक्ति-एक-पद नियम का पालन, आईपीएल की समाप्ति और भारतीय खिलाड़ियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव की शुरुआत के बीच का अंतर सुनिश्चित करना। समिति ने आईपीएल संचालन परिषद के लिए एक स्वायत्त संरचना की भी सिफारिश की थी, हालांकि इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है, क्योंकि मूल निकाय के साथ आईपीएल का नाभि संबंध अभी भी बहुत मजबूत है और बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा हैं। फ्रेंचाइजी के स्वामित्व ढांचे में बड़ा बदलाव आया है, खासकर वे जो बीसीसीआई या राज्य संघ के पदाधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं। जैसे चेन्नई सुपर किंग्स के मामले में, जो पहले इंडिया सीमेंट्स के स्वामित्व में था, जिसके प्रबंध निदेशक एन. श्रीनिवासन ने आईपीएल टीम को संभालते हुए बीसीसीआई में कई प्रशासनिक कार्य किए। लोढ़ा समिति ने सीएसके और जयपुर फ्रेंचाइजी को उनके मालिक की अवैध सट्टेबाजी में कथित संलिप्तता के लिए दो साल के लिए निलंबित कर दिया और सवाल उठाने के दबाव में, इंडिया सीमेंट्स ने फ्रेंचाइजी का स्वामित्व चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया, जो चेन्नई में पंजीकृत है। नई इकाई अभी भी इंडियन सीमेंट्स के स्वामित्व में है और इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से अभी भी श्रीनिवासन और उनके परिवार के नियंत्रण में है। --आईएएनएस एसजीके

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