असम के सबसे पिछड़े जिलों में से एक धेमाजी में ढाबा चलाने वाले की बेटी ने जीता भारोत्तोलन में स्वर्ण

भारत के लिए ओलंपिक पदक जीत चुकीं मीराबाई चानू को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाली पंचमी का इंदौर में सोना जीतने के बाद अब लक्ष्य देश के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतना है।
असम के सबसे पिछड़े जिलों में से एक धेमाजी में ढाबा चलाने वाले की बेटी ने जीता भारोत्तोलन में स्वर्ण

इंदौर, एजेंसी। मध्य प्रदेश में जारी खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भारोत्तोलन की 49 किग्रा भार वर्ग का स्वर्ण पदक जीतने वाली पंचमी सोनोवाल असम के धेमाजी जिले से ताल्लुक रखती हैं। यह असम के सबसे पिछड़े इलाकों में एक है। परिवार चलाने के लिए पंचमी के पिता धेमाजी में ही ढाबा चलाते हैं और भाई परिवार की आय में बढ़ोत्तरी के लिए आटो चलाता है।पंचमी के जीवन में तमाम दुश्वारियां हैं लेकिन इनसे बेखबर वह अपने खेल पर ध्यान लगाए हुए हैं क्योंकि परिवार का उनको पूरा सपोर्ट है। भारत के लिए ओलंपिक पदक जीत चुकीं मीराबाई चानू को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाली पंचमी का इंदौर में सोना जीतने के बाद अब लक्ष्य देश के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतना है। 

धेमाजी असम का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित जिला

एशियाई विकास बैंक के अनुसार धेमाजी असम का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित जिला है। आलम यह है कि अप्रैल से सितंबर तक छह महीने तक यहां बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। पंचमी का परिवार इन्हीं दुश्वारियों के बीच जी रहा है। पंचमी धेमाजी में ही अभ्यास करती हैं तथा सिर्फ और सिर्फ आगे की ओर देखती हैं। 

पापा ढाबा चलाते हैं और भाई आटो चलाता है

17 साल की हंसमुख पंचमी ने कहा,- मेरे पापा ढाबा चलाते हैं औऱ मेरा भाई आटो चलाता है लेकिन ये लोग खेल में मेरे लिए कोई कमी नहीं आने देते। मैं नियमित तौर पर अभ्यास करती हूं औऱ आने वाले समय में देश के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतना मेरा सपना है। पंचमी ने बताया कि इससे पहले उन्होंने तमिलनाडु के नागरकोइल में आयोजित नेशनल्स में हिस्सा लिया। वहां उन्होंने 70 (स्नैच) और क्लीन एंड जर्क में 91 (नेशनल यूथ रिकार्ड) के साथ सोना जीता था। 

नेशनल्स के बाद मैंने कम प्रैक्टिस किया

पंचमी ने कहा,- इस बार मैं 65 और 89 वेट ही उठा सकी। मुझे कोई इंजरी नहीं है लेकिन नेशनल्स के बाद मैंने कम प्रैक्टिस किया था। अगर मैं प्रैक्टिस में रहती तो तमिलनाडु की रितिका वी. का स्नैच (69) में मेरे से बेहतर स्कोर नहीं होता। पंचमी ने माना कि मुकाबला टफ था औऱ वह इसकी उम्मीद नहीं कर रही थीं। बकौल पंचमी, -मुझे उम्मीद नहीं थी कि मुकाबला इतना कठिन होगा। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में कम्पटीशन कठिन से कठिन होता जा रहा है। रितिका नेशनल्स में थी। उसका कोई पोजीशन नहीं था। वह अच्छी खिलाड़ी है और आने वाले समय में मेरा उससे कई बार सामना होने वाला है।

उठाया 154 किलो वेट 

लड़कियों के 49 किग्रा में पंचमी ने कुल 154 किग्रा (स्नैच 65, क्लीन एंड जर्क 89 किग्रा) के साथ सोना जीता जबकि रितिका वी. कुल 153 किग्रा (स्नैच 68, क्लीन एंड जर्क 85 किग्रा) ने कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद रजत जीता। कांस्य कोयेल बार (प बंगाल) कुल 147 किग्रा (स्नैच 64, क्लीन एंड जर्क 83 किग्रा) को मिला। पंचमी अपना तीसरा खेलो इंडिया यूथ गेम्स खेल रही थीं। खेलो इंडिया मप्र के लिए किए गए इंतजाम को लेकर पंचमी ने कहा,-यहा के इंतजाम शानदार है। फेलिसिटी अच्छी है। 

मीराबाई को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं

पंचमी ने इससे पहले पुणे और गुवाहाटी में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हिस्सा लिया था। पुणे में वह 45 किग्रा वेट कटेगरी में खेली थी, जहां उन्हें कोई पोजीशन नहीं मिला और फिर वह गुवाहाटी में 49 किग्रा वेट कटेगरी में पहली बार खेली, जहां वह चौथे स्थान पर रहीं। पंचमी जिस वेट कटेगरी में हैं वह भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली मीराबाई चानू का है। पंचमी मीराबाई को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं। पंचमी ने कहा,- गेम में मीरा दी मेरा इंस्पीरेशन हैं। मैं उनसे कभी मिली नहीं हूं। हां, पास से जरूर देखा है। मैं उनके जैसा बनना चाहती हूं।-

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