महिला क्रिकेट के प्रति भारतीय प्रशासकों को अपना नजरिया बदलना चाहिए

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नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। भारतीय खेल मंत्रालय ने 2012 में, सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएफएस) को महिलाओं के लिए अपनी कुल सदस्यता का कम से कम 10 प्रतिशत सीट आरक्षित करने का प्रावधान करने के लिए कहा था। इसके अलावा सरकार द्वारा नामित 25 प्रतिशत सदस्यता और मतदान के अधिकार की परिकल्पना की गई थी। लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पास इसमें से कुछ भी नहीं होगा और वह केवल खेल मंत्रालय की अवहेलना ही कर सकता है, जैसा कि उसने किया। बीसीसीआई ने मंत्रालय को भेजे 39 पन्नों के जवाब में सीधे तौर पर इन निदेशरें को खारिज कर दिया। इसमें लिखा गया है, इसमें कोई दो राय नहीं है कि महिला क्रिकेट बीसीसीआई के तत्वावधान में आयोजित किए जाते हैं, लेकिन (इसने) कभी भी पुरुषों की टीम से जुड़ी लोकप्रियता के एक हिस्से को भी आकर्षित नहीं किया है। बीसीसीआई ने कहा, हमारे सदस्य पुरुषों की टीम से संबंधित क्रिकेट मामलों में सदस्यता और मतदान के अधिकार वाली महिलाओं के इस तरह के अवैध आरोप को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। जहां तक बीसीसीआई का संबंध है, यह प्रावधान सर्वथा बेतुका है। इन परिवर्तनों का अंतिम परिणाम कमजोर होगा और मौजूदा सदस्यों के मतदान के अधिकार में 35 प्रतिशत (25 प्लस 10 प्रतिशत) है । यही कारण है कि इन प्रावधानों को छोड़ दिया जाए। भारतीय महिला टीम कुछ दिनों में इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली है और महिला क्रिकेटरों के संबंध में बीसीसीआई के भीतर कुछ ज्यादा बदलाव नहीं हो सकता है। इसका एक उदाहरण हाल ही में घोषित पुरुष और महिला खिलाड़ियों के लिए वार्षिक रिटेनरशिप में भारी असमानता है। ए प्लस ग्रेड में शामिल एक पुरुष क्रिकेटर को सात करोड़ रुपये मिलते हैं। ए ब्रैकेट में पांच करोड़ रुपये मिलते हैं, बी श्रेणी के क्रिकेटरों को तीन करोड़ रुपये मिलते हैं, और सी ग्रेड में क्रिकेटरों को सालाना एक करोड़ रुपये मिलते हैं। महिलाओं के लिए, केवल तीन ही ग्रेड हैं, और रिटेनरशिप राशि सालाना 50 लाख रुपये, 30 लाख रुपये और 10 लाख रुपये है। भारतीय महिला क्रिकेटरों को उस समय एक उम्मीद की किरण दिखी जब अक्टूबर 2019 में सौरव गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष चुने गए। भारतीय क्रिकेटर्स संघ के प्रतिनिधि के रूप में बीसीसीआई की शीर्ष परिषद में शामिल रामगास्वामी ने 2019 के बीसीसीआई चुनावों के बाद कहा था, अब सौरव बीसीसीआई अध्यक्ष हैं और जब वह कहते है कि वह प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों के लिए कुछ करना चाहता है, तो मुझे लगता है कि वह महिला खिलाड़ियों को भी शामिल करते हैं। इसलिए, यह एक अच्छा संकेत है। उम्मीद है कि हमारा आधा काम हो जाएगा। वह खुद अब ऐसे प्रस्ताव दे रहे हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह उन सभी महिला क्रिकेटरों के लिए एक शॉट होगा, जिन्होंने इस खेल को बनाए रखने में मदद करने के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया। --आईएएनएस ईजेडए/आरजेएस

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