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हॉकी के दिग्गज चरणजीत सिंह का 92 साल की उम्र में निधन

नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित चरणजीत सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में निधन हो गया। अर्जुन पुरस्कार विजेता भारत के गौरवशाली दिनों का हिस्सा थे। एक करिश्माई हाफबैक चरणजीत सिंह ने 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम को फाइनल में पाकिस्तान को हराकर ऐतिहासिक स्वर्ण पदक दिलाया था और रोम में 1960 के ओलंपिक खेलों में रजत जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। 20 नवंबर 1929 को जन्मे चरणजीत सिंह कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून और पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में अपने शानदार करियर के बाद, उन्होंने शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक के रूप में काम किया। हॉकी इंडिया ने गुरुवार को महान चरणजीत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। एसोसिएशन ने कहा, जब हॉकी इंडिया ने टोक्यो ओलंपिक खेलों 2020 की अगुवाई में फ्लैशबैक सीरीज के लिए जून 2021 में लीजेंड का साक्षात्कार लिया था, तो उन्होंने 1964 में टोक्यो ओलंपिक के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल को याद किया था। उन्होंने याद करते हुए कहा था, उस समय दोनों टीमों को सबसे मजबूत टीमों में से एक माना जाता था और हमने उनके खिलाफ एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण साहस दिखाया था। इसके अलावा आप जानते हैं कि जब आप पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हैं तो यह कितना तीव्र हो जाता है, वह भी ओलंपिक फाइनल में। इसके बाद हमने मैच 2-1 से मैच जीतकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया था। उन्होंने कहा, देश के लिए दो पदक जीतना मेरे लिए गर्व और सम्मान का क्षण रहा है। आप जानते हैं, 1964 के टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद एयरपोर्ट पर हमारे आगमन पर हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया, वहां प्रशंसकों की काफी भीड़ थी और यह हम में से हर एक के लिए एक बहुत ही खास एहसास था। चरणजीत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोमबम ने कहा, यह हॉकी बिरादरी के लिए एक दुखद दिन है। अपने बुढ़ापे में भी वह हर बार हॉकी के बारे में बातचीत करते थे। वह भारत के हॉकी के सुनहरे दिनों का हिस्सा रहे हैं। वह एक महान हाफबैक थे, जिन्होंने खिलाड़ियों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया। उन्होंने आगे कहा, वह एक बहुत ही शांत नेतृत्व वाले कप्तान थे और उन्हें मैदान पर उनके अविश्वसनीय कौशल और मैदान के बाहर उनकी विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। हॉकी इंडिया की ओर से मैंने उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। --आईएएनएस आरजे/आरजेएस

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