शासन के निर्देश पर निकाली गई रथयात्रा, 170 वर्ष पुरानी परंपरा टूटने से बची
शासन के निर्देश पर निकाली गई रथयात्रा, 170 वर्ष पुरानी परंपरा टूटने से बची

शासन के निर्देश पर निकाली गई रथयात्रा, 170 वर्ष पुरानी परंपरा टूटने से बची

पन्ना, 23 जून (हि.स.)। सोमवार तक रथयात्रा निकाले जाने को लेकर अनिश्चता बनी हुई थी। एक दिन पूर्व तक शासन प्रशासन द्वारा रथयात्रा नहीं निकालने का निर्णय लिया गया था, जिससे काफी हताशा का माहौल था। पूरे दिन ज्ञापनों एवं बैठकों का दौर चला कि यदि आज 170 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक रथयात्रा की परंपरा टूटी तो आगामी 12 वर्ष तक रथयात्रा नहीं निकाली जा सकेगी, लेकिन जैसे ही उड़ीसा की पुरी में रथ यात्रा निकालने जाने की अनुमति की जानकारी लगी वैसे ही नगरवासी और सक्रिय हो गये। पूरी तरह की यहां भी भले ही आम नागरिकों को रथयात्रा में शामिल न किया जाये, लेकिन रथयात्रा अवश्य निकाली जाये। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा एक सीमित संख्या रखते हुए पुजारी एवं मंदिर से जुड़े लोग जितने रथयात्रा के आवश्यक होते हैं मात्र उनकी अनुमति देकर प्रशासन की देखरेख रथयात्रा निकालने की अनुमति दे दी। आनन फानन में रथयात्रा की तैयारियां की गईं और सीमित संख्या में मंगलवार को रथयात्रा अपने निर्धारित समय लगभग साढ़े पांच बजे निकाली गई। जिसमें राजपरिवार की ओर से पूर्व सांसद कुंवर लोकेंद्र सिंह, महाराजा पन्ना मानवेंद्र सिंह ने परंपरागत तरीके से भगवान जगन्नाथ स्वामी की पूजा अर्चना रथ यात्रा को रवाना किया तथा पुलिस प्रशासन की ओर से भगवान जगन्नाथ स्वामी को गाॅड आफ आनर की सलामी दी गई। नगर वासियों को रथ यात्रा में शामिल होने से पूर्णतः प्रतिबंध था जिस कारण लोगों ने अपने अपने दरवाजों एवं छतों से ही भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा के दर्शन किये। ज्ञात हो कि भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा महोत्सव पुरी की तर्ज पर पन्ना में भी उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है। हर साल निकलने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथ रथयात्रा में हजारों श्रृद्धालु शामिल होते थे, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते प्रशासन ने रथयात्रा में शामिल होने के लिए लोगों को अनुमति नहीं दी है। जिसके कारण बेहद ही सादे रूप में रथयात्रा महोत्सव मनाया गया। राजाशाही के समय रथयात्रा बेहद शाही अंदाज में निकाली जाती थी पन्ना रियासत की सेना के हाथी, घुडसवार और सैनिक इस यात्रा में शामिल होते थे और रथयात्रा महोत्सव मनाया जाता था। रथयात्रा की वैभवता देखने लायक होती थी। जगन्नाथपुरी के बाद पन्ना ऐसी दूसरी जगह है जहां भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बड़ी धूम धाम निकलती थी। आज निकाली गई रथयात्रा महोत्सव में कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा, एसपी मयंक अवस्थी, पूरी व्यवस्थाओं पर अपनी नजर रखे हुए थे। जिला प्रशासन की ओर से वरिष्ठ अधिकारी एसडीएम अजयगढ़ बीबी पाण्डेय, एसडीएम पन्ना, तहसीलदार पन्ना दीपा चतुवेर्दी के अलावा पुलिस प्रशासन की ओर से एडीशनल एसपी एसपीएस परिहार, एसडीओपी आर एस शर्मा, टीआई पन्ना हरि सिंह ठाकुर, टीआई अजयगढ़ अरविंद कुजूर सहित जिले के कई थानों के थाना प्रभारी एवं भारी मात्रा में पुलिस बल मौजूद रहा। 170 वर्ष पूर्व शुरू हुई थी ऐतिहासिक रथयात्राः- पन्ना की यह ऐतिहासिक रथयात्रा 170 वर्ष पूर्व तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा किशोर सिंह द्वारा शुरू कराई गई थी, जो परम्परानुसार अनवरत जारी है। पन्ना नरेश महाराजा किशोर सिंह ने जब यहां रथयात्रा महोत्सव की शुरूआत संवत 1874 में की थी, इस समय वे पुरी से भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की मूर्ति लेकर आये थे और पन्ना में भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। पुरी में चूंकि समुद्र है इसलिए पन्ना के जगन्नाथ मंदिर के सामने सुंदर सरोवर का निर्माण कराया गया था। तभी से यहां पुरी की ही तर्ज पर रथयात्रा का आयोजन होता है। जिसमें लाखों लोग पूरे भक्ति भाव और श्रृद्धा के साथ शामिल होते हैं। किवंदती है कि जिस वर्ष यहां मंदिर का निर्माण हुआ तो यहां पर अटका चढ़ाया गया। महाराजा किशोर सिंह को स्वप्न आया कि पन्ना में अटका न चढ़ाया जाये अन्यथा पुरी का महत्व कम हो जायेगा। इसलिये यहां भगवान जगन्नाथ स्वामी को अंकुरित मूंग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। तत्कालीन पन्ना नरेशों द्वारा जनकपुर में भी भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। रथयात्रा के जनकपुर पर पहुंचने पर यहां के मंदिर को बडे ही आकर्षक ढंग से सजाया जाता है तथा यहां पर मेला भी लगता है। हिन्दुस्थान समाचार / सुरेश पाण्डेय-hindusthansamachar.in

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