सदन में हंगामे पर सभापति का बड़ा बयान कहा- कामकाज ठप कर राजनीति करने के गंभीर परिणाम होंगे

सभापति धनखड़ ने सदन के अनिश्चितकालीन स्थगन की घोषणा के दौरान चिंता जताते हुए कहा कि यह विडंबना है कि संसद में अव्यवस्था नई व्यवस्था बन रही है। यह नया मानदंड लोकतंत्र के सार को नष्ट कर देता है।
सदन में हंगामे पर सभापति का बड़ा बयान कहा-  कामकाज ठप कर राजनीति करने के गंभीर परिणाम होंगे

नई दिल्ली, एजेंसी। राज्यसभा में पक्ष विपक्ष के गतिरोध के चलते बाधित रहे बजट सत्र की कार्यवाही बुधवार को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए आज कहा कि संसद के कामकाज को ठप कर राजनीति को हथियार बनाना गंभीर परिणाम देने वाला है। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी हमें नारों से पैदा होने वाले शोर से नहीं बल्कि राष्ट्र के विकास पथ को मजबूत करने की दिशा में हमारे योगदान से आंकेगी।

संसद में अव्यवस्था नई व्यवस्था बन रही
सभापति धनखड़ ने सदन के अनिश्चितकालीन स्थगन की घोषणा के दौरान चिंता जताते हुए कहा कि यह विडंबना है कि संसद में अव्यवस्था नई व्यवस्था बन रही है। यह नया मानदंड लोकतंत्र के सार को नष्ट कर देता है। संसद में वाद-विवाद, संवाद और विचार-विमर्श के स्थान पर व्यवधान और अशांति लेती जा रही है। उन्होंने कहा कि बजट सत्र के पहले भाग की उत्पादकता 56.3 प्रतिशत थी जबकि दूसरे भाग में यह घटकर 6.4 प्रतिशत रह गई। संचयी रूप से सदन की उत्पादकता केवल 24.4 प्रतिशत थी। व्यवधानों के चलते सभा ने 103 घंटे 30 मिनट का बहुमूल्य समय गंवा दिया। सदन के निराशाजनक प्रदर्शन पर विचार कर रास्ता निकालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा का 259वां सत्र आज समाप्त हो रहा है। संसद लोकतंत्र की प्रहरी है और जनता जनप्रतिनिधियों की प्रहरी है। जनता की सेवा करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है। संसद के पवित्र परिसर लोगों के समग्र कल्याण के लिए चर्चा और विचार-विमर्श, बहस और निर्णय के लिए हैं।

जनता के मन में हम तिरस्कार और उपहास के पात्र बन रहे
सभापति ने कहा कि लोगों को संसद में व्यवधान नापसंद है। जनता के मन में हम तिरस्कार और उपहास के पात्र बन रहे हैं। हमें लोगों की अपेक्षाओं पर अपने ट्रैक रिकॉर्ड को प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है। इससे पहले सुबह के कार्य स्थगन के बाद दोपहर 2 बजे कार्यवाही दोबारा शुरू हुई। द्रमुक नेता तिरुची शिवा ने इस दौरान पिछले दिन सभापति के निर्णय पर व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि अपने निर्णय में उन्होंने किसी व्यक्ति के सभा के विचार से बाहर नहीं होने की बात कही थी। इसका समर्थन कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने भी किया। उन्होंने कहा कि इस परंपरा के दूरगामी प्रभाव होंगे। कोई भी किसी के खिलाफ कुछ भी बोल सकता है। इसपर सभापति ने कहा कि उन्होंने सदस्यों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण किया है। दूसरी ओर सभापति ने सदन की कार्यवाही से रजनी अशोक पाटिल के निलंबन को भी वर्तमान सत्र से आगे बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार समिति ने उनके मामले पर विचार के लिए समय मांगा है।

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